
बौद्ध कला
Buddhist art
(Artistic practices influenced by Buddhism)
Summary
बौद्ध कला
बौद्ध कला, बौद्ध धर्म के संदर्भ में बनाई गई दृश्य कला है। इसमें गौतम बुद्ध और अन्य बुद्धों और बोधिसत्वों, ऐतिहासिक और पौराणिक दोनों तरह के उल्लेखनीय बौद्ध व्यक्तियों, उनके जीवन के वृत्तांत दृश्यों, मंडलों और वज्र, घंटियाँ, स्तूप और बौद्ध मंदिर वास्तुकला जैसी बौद्ध साधना से जुड़ी भौतिक वस्तुओं का चित्रण शामिल है।
उत्पत्ति और प्रसार:
बौद्ध कला की उत्पत्ति भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर में, आधुनिक भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में हुई थी। इसके सबसे पुराने अवशेष 6ठी से 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में सिद्धार्थ गौतम के ऐतिहासिक जीवन के कुछ शताब्दियों बाद के हैं।
जैसे-जैसे बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ और प्रत्येक नए मेजबान देश में विकसित हुआ, बौद्ध कला ने भी उसी राह का अनुसरण किया। यह उत्तर की ओर मध्य एशिया से होते हुए पूर्वी एशिया तक फैलकर बौद्ध कला की उत्तरी शाखा बना, और पूर्व में दक्षिण पूर्व एशिया तक फैलकर बौद्ध कला की दक्षिणी शाखा बना। भारत में, बौद्ध कला फली-फूली और हिंदू और जैन कला के साथ विकसित हुई, जिसमें गुफा मंदिर परिसर एक साथ बनाए गए, जिनमें से प्रत्येक ने एक-दूसरे को प्रभावित किया।
विषय वस्तु:
शुरूआती दौर में ऐतिहासिक बुद्ध की भक्तिमय मूर्तियों के साथ-साथ उनके जीवन और पिछले जन्मों के उभरे हुए दृश्यों पर जोर दिया गया था। जैसे-जैसे बौद्ध देवताओं का विकास हुआ, बोधिसत्वों और अन्य व्यक्तियों के भक्तिमय चित्र उत्तरी बौद्ध कला में केवल बुद्ध के सेवकों के बजाय स्वयं में सामान्य विषय बन गए, और पहली सहस्राब्दी के अंत तक वे प्रमुख हो गए।
विशेषताएं:
- प्रतीकवाद: बौद्ध कला प्रतीकों से भरपूर होती है। उदाहरण के लिए, कमल का फूल पवित्रता का प्रतीक है, जबकि धर्मचक्र बुद्ध की शिक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
- शांति और करुणा: बौद्ध कला में अक्सर शांति, करुणा और आध्यात्मिक शांति की भावना व्यक्त की जाती है।
- क्षेत्रीय विविधता: बौद्ध कला ने उन विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं को आत्मसात किया है जहाँ यह फैली है।
महत्व:
बौद्ध कला केवल धार्मिक आस्था का प्रतिनिधित्व ही नहीं करती है, बल्कि उस समय के समाज, संस्कृति और कलात्मक उपलब्धियों की झलक भी प्रस्तुत करती है। यह बौद्ध धर्म के प्रसार और विकास को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।