
शमैप्पा
Shamarpa
(Title in Tibetan Buddhism)
Summary
शमरपा: तिब्बती बौद्ध धर्म में करमा काग्यू वंश के एक प्रमुख धार्मिक नेता
शमरपा (तिब्बती: ཞྭ་དམར་པ་, Wylie: zhwa dmar pa; जिसका शाब्दिक अर्थ है, "लाल मुकुट धारण करने वाला व्यक्ति") तिब्बती बौद्ध धर्म के करमा काग्यू सम्प्रदाय के सबसे ऊँचे वंश धारकों में से एक हैं। उन्हें अमिताभ बुद्ध के मन का अभिव्यक्ति माना जाता है। शमरपा को शमर रिनपोछे या औपचारिक रूप से कुन्जिग शमर रिनपोछे भी कहा जाता है। तिब्बती बौद्ध धर्म में यह उपाधि तुलकु (पुनर्जन्म लेने वाले लामा) की दूसरी सबसे पुरानी परंपरा मानी जाती है। परंपरागत रूप से, शमरपा का संबंध ल्हासा के पास स्थित यंगपाचेन मठ से रहा है।
शमरपा परंपरा की शुरुआत:
- तेरहवीं शताब्दी में, तीसरे करमापा, रंगजंग दोर्जे ने द्रकपा सेंगगे (1283-1349) को शमरपा की उपाधि और एक लाल मुकुट प्रदान किया।
- यह लाल मुकुट करमापा के काले मुकुट की एक प्रतिकृति थी, जिसने तिब्बती बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म लेने वाले लामाओं की दूसरी पंक्ति की स्थापना की।
- इस प्रकार, करमापा के बाद, शमरपा दूसरी सबसे पुरानी तुलकु परंपरा है।
शमरपा का महत्व:
- शमरपा को अक्सर "लाल टोपी वाले करमापा" के रूप में जाना जाता है, खासकर प्रारंभिक काग्यू ग्रंथों में।
- पांचवें दलाई लामा ने शमरपा को करमापा के बराबर माना। उन्होंने कहा:
"चूँकि जे चेन-न्गा थमचद ख्येनपा चोकी ड्रगपा (चौथे शमरपा) ने फगड्रुपा राजवंश के सिंहासन पर चढ़ाई की थी, इसलिए अब लाल टोपी और काली टोपी वाले करमापा के बीच कोई अंतर नहीं रहा। यही कारण था कि मैंने उन्हें समान दर्जा दिया।"
निष्कर्ष:
शमरपा तिब्बती बौद्ध धर्म के करमा काग्यू वंश के एक प्रमुख धार्मिक नेता हैं। उनकी परंपरा सदियों पुरानी है और उन्हें करमापा के समान सम्मान और महत्व दिया जाता है।