
सिमरन
Simran
(Meditation on the words of Sikh guru Granth Sahib)
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सिमरन: ईश्वर का निरंतर स्मरण
"सिमरन" एक हिंदी और पंजाबी शब्द है जिसका अर्थ है "निरंतर स्मरण"। आध्यात्मिकता में, सिमरन का अर्थ है अपने भीतर के सर्वोत्तम पहलू का या ईश्वर का निरंतर स्मरण (या अनुभूति) करना। यह स्थिति बाहरी दुनिया में सांसारिक कार्यों को करते हुए भी निरंतर बनी रहती है।
यहाँ सिमरन की अवधारणा को विस्तार से समझते हैं:
- आंतरिक स्वरूप का स्मरण: सिमरन का एक अर्थ है अपने भीतर छिपे हुए दिव्य तत्व, आत्मा या परमात्मा के अंश का निरंतर स्मरण करना। यह आत्म-साक्षात्कार और आत्म-ज्ञान का मार्ग है।
- ईश्वर का निरंतर स्मरण: सिमरन का दूसरा अर्थ है ईश्वर के प्रति निरंतर प्रेम, भक्ति और समर्पण की भावना बनाए रखना। यह भक्ति योग का एक महत्वपूर्ण अंग है।
- सांसारिक जीवन में सिमरन: सिमरन का अर्थ यह नहीं है कि सांसारिक जीवन का त्याग कर दिया जाए। बल्कि, इसका अर्थ है कि सांसारिक कार्यों को करते हुए भी मन और ह्रदय में ईश्वर का स्मरण बना रहे।
- सिमरन के लाभ: सिमरन मन को शांत करता है, एकाग्रता बढ़ाता है, नकारात्मक विचारों से मुक्ति दिलाता है, और ईश्वर के साथ एक गहरा संबंध स्थापित करने में मदद करता है।
संक्षेप में, सिमरन आध्यात्मिक उन्नति का एक महत्वपूर्ण साधन है जो हमें हमारे भीतर के दिव्य तत्व और ईश्वर से जोड़ता है।
Simran, in spirituality, is a Hindi and Punjabi word referring to the continuous remembrance of the finest aspect of the self, and/or the continuous remembrance of God. This state is maintained continuously while carrying out the worldly works outside.