
हुइचांग में बौद्ध धर्म का उत्पीड़न
Huichang persecution of Buddhism
(Period of suppression of foreign religions within Tang China from 840 to 845 AD)
Summary
हूईचांग काल में बौद्ध धर्म का उत्पीड़न (会昌毁佛)
परिचय:
तांग वंश के सम्राट वुज़ोंग (ली चान) ने हूईचांग युग (841-845 ई.) के दौरान बौद्ध धर्म के विरुद्ध एक व्यापक उत्पीड़न अभियान शुरू किया, जिसे हूईचांग बौद्ध उत्पीड़न (会昌毁佛 - Huìchāng huǐfó) के नाम से जाना जाता है। यह उत्पीड़न केवल बौद्ध धर्म तक ही सीमित नहीं था, बल्कि यह पारसी धर्म (ज़ोरॉस्ट्रियनवाद), नेस्टोरियन ईसाई धर्म और मनीष धर्म जैसे अन्य धर्मों को भी निशाना बनाता था। इसके पीछे कई कारण थे, जिनमें से युद्ध के लिए धन जुटाना और तांग चीन से विदेशी प्रभावों को दूर करना प्रमुख थे।
उत्पीड़न के कारण:
सम्राट वुज़ोंग के इस निर्णय के पीछे कई कारक काम कर रहे थे:
आर्थिक कारण: तांग साम्राज्य उस समय आर्थिक संकट से जूझ रहा था। बौद्ध मठों के पास विशाल भूमि संपत्ति, धन और अन्य संसाधन थे। सम्राट ने इन संसाधनों को जब्त करके राज्य की खाली होती हुई खजाने को भरने की योजना बनाई। मठों से प्राप्त धन का उपयोग युद्ध के प्रयासों में किया जाना था।
राजनीतिक कारण: बौद्ध धर्म की बढ़ती लोकप्रियता और प्रभाव सम्राट के लिए एक चुनौती बन गया था। कई बौद्ध मठ राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हो गए थे, और सम्राट ने उन्हें कमजोर करके अपनी सत्ता को मजबूत करने का प्रयास किया।
सामाजिक कारण: सम्राट वुज़ोंग का मानना था कि बौद्ध धर्म एक विदेशी धर्म है जो चीन के पारंपरिक मूल्यों और संस्कृति को कमजोर कर रहा है। उत्पीड़न का उद्देश्य चीन को "विदेशी" प्रभावों से शुद्ध करना था। यह एक राष्ट्रवादी दृष्टिकोण से प्रेरित था।
व्यक्तिगत कारण: कुछ इतिहासकारों का मानना है कि सम्राट के व्यक्तिगत विश्वासों और पूर्वाग्रहों ने भी इस उत्पीड़न में भूमिका निभाई थी।
उत्पीड़न का स्वरूप:
हूईचांग उत्पीड़न के दौरान व्यापक पैमाने पर बौद्ध मठों को नष्ट किया गया, बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों को मजबूरन अपना धर्म त्यागने पर मजबूर किया गया, बौद्ध साहित्य और कलाकृतियों को नष्ट किया गया। हजारों मठों को बंद कर दिया गया, और उनकी संपत्ति को जब्त कर लिया गया। यह अभियान अत्यंत क्रूर और व्यापक था जिसने बौद्ध धर्म को गंभीर नुकसान पहुंचाया।
उत्पीड़न के बाद का प्रभाव:
हालांकि यह उत्पीड़न कुछ समय के लिए प्रभावी रहा, लेकिन बौद्ध धर्म तांग वंश के पतन के बाद फिर से पुनर्जीवित हुआ। हालांकि इस उत्पीड़न ने बौद्ध धर्म पर एक स्थायी प्रभाव डाला और बौद्ध मठों के राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव को कम किया। यह घटना चीन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है जो धर्म और राज्य के बीच जटिल संबंधों को दर्शाता है।