
चौपाई (सिख धर्म)
Chaupai (Sikhism)
(Prayer composed by Guru Gobind Singh)
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कविओ बच बेंती चौपाई - विवरण
कविओ बच बेंती चौपाई (जिसे चौपाई साहिब या बेंती चौपाई भी कहा जाता है) गुरु गोबिंद सिंह द्वारा रचित एक भजन है। यह दसम् ग्रंथ में शामिल चारित्रोपाख्यान रचना का 405वां चारित्र है। यह सिखों के नितनेम (रोज़ाना पढ़ने वाले शास्त्र) का हिस्सा है और अमृत संचार समारोहों के दौरान इसे पढ़ा जाता है।
यहाँ कविओ बच बेंती चौपाई के बारे में कुछ और जानकारी है:
- गुरु गोबिंद सिंह ने इसे बेंती के रूप में लिखा था, यानि गुरु जी का अपने ईश्वर से प्रार्थना करना।
- चौपाई शब्द का मतलब चार पंक्तियों वाला श्लोक है, और यहाँ इस भजन में हर पंक्ति में चार पद होते हैं।
- दसम् ग्रंथ सिखों का एक पवित्र ग्रंथ है, और यह गुरु गोबिंद सिंह द्वारा लिखित कई रचनाओं का संग्रह है।
- नितनेम सिखों के रोज़ाना के पाठ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसमें कई भजन और शास्त्र शामिल हैं।
- अमृत संचार सिख धर्म में एक महत्वपूर्ण संस्कार है, जिसमें व्यक्ति को सिख धर्म में दीक्षित किया जाता है।
कविओ बच बेंती चौपाई में गुरु जी अपने भक्तों को ईश्वर की शरण में जाने और उसके गुणों का गुणगान करने के लिए प्रेरित करते हैं। यह भजन सिखों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और उनकी आध्यात्मिक यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Kaviyo Bach Benti Chaupai is a hymn by Guru Gobind Singh. Chaupai is the 405th Charitar of the Charitropakhyan composition contained within the Dasam Granth. It forms part of a Sikh's Nitnem and is read during Amrit Sanchar ceremonies.