
दिल्ली की लड़ाई (1783)
Battle of Delhi (1783)
(Sikh victory over the Mughal Empire)
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दिल्ली की लड़ाई: 1783
1783 में, खालसा सिखों और मुगल साम्राज्य के बीच दिल्ली की लड़ाई हुई थी। यह एक महत्वपूर्ण लड़ाई थी जो सिखों के बढ़ते प्रभाव और मुगल साम्राज्य के पतन का प्रतीक थी।
लड़ाई के कारण:
- सिखों की ताकत: 18वीं सदी के अंत तक, सिख साम्राज्य काफ़ी मज़बूत हो चुका था। महाराजा रणजीत सिंह के नेतृत्व में, उन्होंने पंजाब में कई इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया था।
- मुगल कमज़ोरी: मुगल साम्राज्य पहले से ही कमज़ोर था और अंदरूनी कलह से जूझ रहा था। मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय दिल्ली में सिर्फ़ एक नाममात्र शासक के रूप में रह गए थे।
- सिखों की दिल्ली पर नज़र: सिखों की नज़र दिल्ली पर थी, जो उस समय उत्तरी भारत में एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था।
लड़ाई का विवरण:
- सिख सेना, महाराजा रणजीत सिंह के नेतृत्व में, दिल्ली पर हमला करने के लिए तैयार थी।
- मुगल सेना, फ़िरोज़ शाह के नेतृत्व में, सिखों का सामना करने के लिए तैयार थी।
- दोनों सेनाएँ दिल्ली के पास लड़ाई में उतर गईं।
- सिख सेना ने बेहतर रणनीति और ताकत से मुगलों को हरा दिया।
- फ़िरोज़ शाह को हार का सामना करना पड़ा और उसे भागना पड़ा।
- सिख सेना ने दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया।
परिणाम:
- दिल्ली की लड़ाई सिखों के लिए एक बड़ी जीत थी।
- इस लड़ाई ने सिखों की ताकत और मुगल साम्राज्य की कमज़ोरी को उजागर किया।
- इस लड़ाई ने सिखों को उत्तरी भारत में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित किया।
यह लड़ाई सिख इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी। इसने सिख साम्राज्य के विस्तार और मुगल साम्राज्य के पतन का मार्ग प्रशस्त किया।
The Battle of Delhi was fought between Khalsa Sikhs and the Mughal Empire in 1783.