
किरत करो
Kirat Karo
(One of the three pillars of Sikhism)
Summary
सिख धर्म का तीसरा स्तंभ: किरत करो
सिख धर्म के तीन मुख्य स्तंभ हैं: नाम जापो, वंड चक्को और किरत करो.
"किरत करो" का अर्थ है ईमानदारी, पवित्रता और समर्पण के साथ जीने के लिए कड़ी मेहनत करना। यह आपके द्वारा दिए गए ईश्वर द्वारा दिए गए कौशल, क्षमताओं, प्रतिभाओं और कड़ी मेहनत का उपयोग करके खुद, अपने परिवार और समाज के लाभ और सुधार के लिए करना है।
यह कहता है कि आपको अपनी मेहनत से काम करना चाहिए, आलसी नहीं होना चाहिए और समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। साथ ही, "सिमरण" और ईश्वर के काम के प्रति समर्पण, व्यक्तिगत लाभ की बजाय, आपकी मुख्य प्रेरणा होनी चाहिए।
विस्तार से समझते हैं:
- ईमानदारी से जीने के लिए काम करना: "किरत करो" का अर्थ है ईमानदारी से रोजगार करना, जो आपको और आपके परिवार को आत्मनिर्भर बनाए।
- पवित्रता से जीने के लिए काम करना: यह कहता है कि आप अपनी कमाई को ईमानदारी से कमाएं, अपनी मेहनत से कमाएं, और किसी अनैतिक कार्य से कमाई करने से बचें।
- समर्पण के साथ काम करना: "किरत करो" कहता है कि आपको अपने काम में समर्पित होना चाहिए, अपनी पूरी शक्ति और मेहनत लगाकर काम करना चाहिए।
- कौशल, क्षमताओं, और प्रतिभाओं का उपयोग करना: "किरत करो" आपको अपनी प्राकृतिक प्रतिभाओं और कौशल का उपयोग करने के लिए प्रेरित करता है।
- काम के प्रति समर्पण: "किरत करो" कहता है कि आपको अपने काम के प्रति समर्पित होना चाहिए, अपनी पूरी शक्ति और मेहनत लगाकर काम करना चाहिए।
- सिमरण का महत्व: "किरत करो" कहता है कि आपको अपने काम में ईश्वर को याद रखना चाहिए, और अपने काम को ईश्वर के लिए करना चाहिए।
- आलस से बचना: "किरत करो" कहता है कि आपको आलसी नहीं होना चाहिए, और अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।
निष्कर्ष में: "किरत करो" सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो कहता है कि हर व्यक्ति को अपनी जीविका के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए, और अपने काम को ईश्वर के लिए करना चाहिए।