Nagasena

नागसेना

Nagasena

(Indian missionary)

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नागसेन: बौद्ध धर्म के ज्ञानी

नागसेन एक सर्वस्तिवादन बौद्ध धर्म के ज्ञानी थे जो लगभग १५० ईसा पूर्व में भारत में रहते थे। वे अपनी बुद्धिमत्ता और बौद्ध धर्म के गहन ज्ञान के लिए प्रसिद्ध थे।

मिलिंद पन्हो: नागसेन की प्रसिद्धि का एक बड़ा कारण है "मिलिंद पन्हो" नामक ग्रंथ। इस ग्रंथ में नागसेन और भारत के उत्तर-पश्चिम के इंडो-ग्रीक राजा मिनांडर प्रथम (पालि: मिलिंद) के बीच हुई बातचीत दर्ज है। राजा मिलिंद ने नागसेन से बौद्ध धर्म के बारे में कई प्रश्न पूछे, जिनका नागसेन ने सरल और तार्किक तरीके से उत्तर दिया। यह ग्रंथ बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

प्रारंभिक जीवन: पालि भाषा में लिखी गयी कथाओं के अनुसार, नागसेन का जन्म हिमालय में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। कहा जाता है कि कम उम्र में ही वे वेदों के ज्ञाता बन गए थे। हालांकि, बाद में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया और अपनी बुद्धि और ज्ञान से इस धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

संस्कृत ग्रंथ: नागसेन के जीवन और शिक्षाओं का वर्णन संस्कृत भाषा में रचित "नागसेनभिक्षुसूत्र" नामक ग्रंथ में भी मिलता है।

नागसेन बौद्ध धर्म के एक प्रमुख विद्वान थे जिन्होंने अपनी तर्कशक्ति और सरल भाषा में बौद्ध धर्म के जटिल सिद्धांतों को समझाने का महत्वपूर्ण कार्य किया।


Nāgasena was a Sarvāstivādan Buddhist sage who lived around 150 BC. His answers to questions about Buddhism posed by Menander I, the Indo-Greek king of northwestern India, are recorded in the Milindapañhā and the Sanskrit Nāgasenabhiksusūtra. According to Pali accounts, he was born into a Brahmin family in the Himalayas and was well-versed in the Vedas at an early age. However, he later converted to Buddhism.



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