अभिधर्मदीप
Abhidharmadīpa
(Abhidharma text thought to have been authored by Vasumitra)
Summary
अभिधर्मदीप : अभिधर्म का दीपक
"अभिधर्मदीप" एक महत्वपूर्ण बौद्ध ग्रंथ है, जिसे "अभिधर्म का दीपक" कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह ग्रंथ वसुमित्र द्वारा रचित है, जिन्होंने इसे वसुबंधु द्वारा रचित "अभिधर्मकोशकारिका" की प्रतिक्रिया स्वरुप लिखा था।
यह ग्रंथ पद्य और गद्य दोनों में लिखा गया है, जिसमें श्लोकों के साथ-साथ उनकी व्याख्या भी दी गई है। दुर्भाग्य से, आज यह ग्रंथ हमें पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं है, केवल कुछ संस्कृत अंश ही उपलब्ध हैं।
इसके बावजूद, "अभिधर्मदीप" का महत्व कम नहीं होता। यह ग्रंथ इस बात की पुष्टि करता है कि "अभिधर्मकोशकारिका" के रचयिता वसुबंधु ही थे।
थोड़ा और विस्तार से:
- वसुमित्र और वसुबंधु: दोनों ही विद्वान बौद्ध भिक्षु थे और अपने समय के प्रख्यात दार्शनिक माने जाते थे। वसुबंधु ने "अभिधर्मकोशकारिका" लिखकर अभिधर्म की जटिल अवधारणाओं को सरल रूप में प्रस्तुत किया था। वसुमित्र ने संभवतः वसुबंधु के कुछ विचारों से असहमति जताते हुए "अभिधर्मदीप" की रचना की होगी।
- अभिधर्म: बौद्ध दर्शन का एक महत्वपूर्ण अंग है जो मनोविज्ञान, तत्वमीमांसा और धर्म के स्वरूप पर गहन चिंतन प्रस्तुत करता है।
- ग्रंथ की दुर्लभता: प्राचीन भारतीय ग्रंथों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि समय के साथ उनके मूल संस्करण नष्ट हो जाते हैं और केवल कुछ अंश ही सुरक्षित रह पाते हैं।
हमें आशा है कि भविष्य में "अभिधर्मदीप" के और अंश खोजे जा सकेंगे, ताकि हम वसुमित्र के विचारों और उस समय के बौद्ध दर्शन को और बेहतर ढंग से समझ सकें।