
भारत की नदियों की सूची
List of rivers of India
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Summary
भारत की नदी प्रणालियाँ: एक विस्तृत विवरण
भारत का भौगोलिक क्षेत्रफल 3,287,263 वर्ग किलोमीटर (1,269,219 वर्ग मील) है, जिसमें विविध पारिस्थितिक तंत्र मौजूद हैं। इस विशाल भूभाग में अनेक नदी तंत्र और स्थायी जलधाराएँ बहती हैं। भारत की नदियों को मुख्यतः चार समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है: हिमालयी, दक्कन, तटीय और अंतर्देशीय जलनिकास।
1. हिमालयी नदियाँ: ये नदियाँ मुख्यतः हिमालय से निकलती हैं और हिमनदों और हिम पिघलने से जल प्राप्त करती हैं। गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी प्रमुख नदियाँ इसी श्रेणी में आती हैं। ये तीनों नदी तंत्र 5000 से अधिक हिमनदों से जल प्राप्त करते हैं, और भारत की प्रमुख नदी प्रणालियों का आधार बनाते हैं।
2. दक्कन नदियाँ: ये नदियाँ प्रायद्वीपीय भारत में स्थित हैं और बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में मिलती हैं। गोदावरी, कृष्णा, महानदी और कावेरी जैसी प्रमुख नदियाँ इसी श्रेणी में शामिल हैं। पश्चिमी घाट से निकलकर पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी की ओर बहने वाली नदियों की संख्या अधिक है, जबकि पूर्वी घाट से पश्चिम की ओर अरब सागर की ओर बहने वाली नदियों की संख्या कम है। इसका कारण दक्कन पठार का ढलान है जो पश्चिम से पूर्व की ओर धीरे-धीरे नीचे की ओर जाता है।
3. तटीय नदियाँ: ये नदियाँ छोटी होती हैं और मुख्यतः पश्चिमी तट पर पाई जाती हैं। ये नदियाँ समुद्र में सीधे मिलती हैं और अपनी छोटी लंबाई के कारण बड़े पैमाने पर सिंचाई या जलविद्युत उत्पादन के लिए उपयोगी नहीं होती हैं।
4. अंतर्देशीय जलनिकास: कुछ नदियाँ ऐसी भी हैं जो समुद्र में नहीं मिलती हैं और अंतर्देशीय क्षेत्रों में ही समाप्त हो जाती हैं। ये नदियाँ आमतौर पर छोटी होती हैं और उनका जल स्तर मौसमी परिवर्तनों के साथ बहुत बदलता रहता है।
मुख्य जल विभाजक: भारत की अधिकांश नदियाँ चार प्रमुख जल विभाजकों से निकलती हैं:
- हिमालयी जल विभाजक: गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल।
- अरावली पर्वतमाला: चंबल, बनास और लूनी जैसी नदियों का उद्गम स्थल।
- विंध्या और सतपुड़ा पर्वतमालाएँ: नर्मदा और ताप्ती नदियों का उद्गम स्थल।
- पश्चिमी घाट: प्रायद्वीपीय भारत की कई प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल।
संक्षेप में, भारत की नदी प्रणाली उसकी भौगोलिक विविधता का एक महत्वपूर्ण पहलू है। इन नदियों ने सदियों से भारतीय सभ्यता और संस्कृति को आकार दिया है और आज भी देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।