The_unanswerable_questions

अनुत्तरित प्रश्न

The unanswerable questions

(Philosophical questions that Buddha refused to answer)

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बौद्ध धर्म में अचिंत्य, अव्याकृत और अतक्कावचरा:

बौद्ध धर्म में, कुछ प्रश्न ऐसे होते हैं जिन्हें "अचिंत्य" (अर्थात "अचिंतनीय" या "अगम्य"), "अव्याकृत" (अर्थात "अव्यक्त" या "अवर्णनीय") और "अतक्कावचरा" (अर्थात "तर्क के क्षेत्र से परे") कहा जाता है। ये ऐसे प्रश्न हैं जिनके उत्तर देना बुद्ध ने अस्वीकार कर दिया था क्योंकि उनका मानना था कि इन पर विचार करने से अभ्यास से ध्यान भटकता है और मुक्ति प्राप्ति में बाधा आती है।

इन प्रश्नों को निम्नलिखित रूप से वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • अचिंत्य (Acintya): ये वे प्रश्न हैं जिनका उत्तर मानव मन के लिए समझना असंभव है।
  • अव्याकृत (Avyakrta): ये वे प्रश्न हैं जिनका उत्तर स्पष्ट रूप से नहीं दिया जा सकता है क्योंकि वे द्वैत की सीमाओं से परे हैं।
  • अतक्कावचरा (Atakavacara): ये वे प्रश्न हैं जो तर्क और बुद्धि की सीमा के बाहर हैं।

इन सवालों को न पूछने का कारण:

बुद्ध ने इन सवालों का जवाब इसलिए नहीं दिया क्योंकि उनका मानना था कि इन पर विचार करने से व्यक्ति उलझन में पड़ जाएगा और दुःख और आसक्ति से मुक्ति का मार्ग नहीं खोज पाएगा।

प्रश्नों के समूह:

पाली और संस्कृत ग्रंथों में इन अनुत्तरित प्रश्नों के विभिन्न समूह पाए जाते हैं।

  • चार अनुत्तरित प्रश्न: ये प्रश्न मुख्य रूप से पुनर्जन्म और आत्मा की प्रकृति से संबंधित हैं।
  • दस अनुत्तरित प्रश्न (पाली ग्रंथों में): ये प्रश्न ब्रह्मांड की उत्पत्ति और प्रकृति, कर्म के नियम और निर्वाण की प्राप्ति जैसे विषयों से संबंधित हैं।
  • चौदह अनुत्तरित प्रश्न (संस्कृत ग्रंथों में): ये दस अनुत्तरित प्रश्नों का विस्तार हैं और इनमें आत्मा के अस्तित्व और मुक्ति के स्वरूप से संबंधित प्रश्न भी शामिल हैं।

संक्षेप में, बुद्ध का मानना था कि इन अनुत्तरित प्रश्नों पर विचार करने की बजाय ध्यान, नैतिक आचरण और ज्ञान के विकास पर ध्यान केंद्रित करना अधिक महत्वपूर्ण है। उनका मानना था कि यह मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है और दुःख के चक्र से मुक्ति दिलाता है।


In Buddhism, acinteyya (Pali), "imponderable" or "incomprehensible," avyākṛta, and atakkāvacara, "beyond the sphere of reason," are unanswerable questions or undeclared questions. They are sets of questions that should not be thought about, and which the Buddha refused to answer, since this distracts from practice, and hinders the attainment of liberation. Various sets can be found within the Pali and Sanskrit texts, with four, and ten or fourteen unanswerable questions.



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