
महापजापति गौतमी
Mahapajapati Gotami
(Foster mother of Gautama Buddha and the first Buddhist nun)
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महाप्रजापति गौतमी: बुद्ध की धाय माँ और प्रथम भिक्षुणी
महाप्रजापति गौतमी, जिन्हें पजापति भी कहा जाता है, गौतम बुद्ध की मौसी, विमाता और धाय माँ थीं। बौद्ध परंपरा में उन्हें पहली महिला के रूप में जाना जाता है जिन्होंने बुद्ध से सीधे भिक्षुणी बनने के लिए उपसंपदा (ordination) की मांग की। इस प्रकार वे पहली बौद्ध भिक्षुणी बनीं।
विस्तार से:
- रिश्तेदारी: महाप्रजापति गौतमी राजा शुद्धोधन की पत्नी महामाया की छोटी बहन थीं। महामाया, सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध) की माँ थीं। महामाया की मृत्यु के बाद, गौतमी ने सिद्धार्थ को अपने बेटे की तरह पाला।
- बौद्ध धर्म में प्रवेश: सिद्धार्थ के बोध प्राप्ति के बाद जब वे कपिलवस्तु आये, तब गौतमी ने उनसे बौद्ध धर्म में दीक्षा लेने की इच्छा जताई।
- भिक्षुणी संघ की स्थापना: गौतमी के अनुरोध को शुरू में बुद्ध ने ठुकरा दिया था, लेकिन आनंद के सहयोग और गौतमी के दृढ़ निश्चय के आगे उन्हें झुकना पड़ा। बुद्ध ने गौतमी को आठ गुरु धर्मों का पालन करने की शर्त पर भिक्षुणी संघ की स्थापना की अनुमति दी।
- महत्व: महाप्रजापति गौतमी का बौद्ध धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। वे नारी मुक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं और उनके कारण ही महिलाओं को बौद्ध धर्म में भिक्षुणी बनने का अधिकार मिला।
This detailed explanation in Hindi provides more context and information about Mahapajapati Gotami's life and significance in Buddhism.
Mahāpajāpatī Gotamī or Pajapati was the foster-mother, step-mother and maternal aunt of the Buddha. In Buddhist tradition, she was the first woman to seek ordination for women, which she did from Gautama Buddha directly, and she became the first bhikkhuni.