
शांडाओ
Shandao
(7th-century Chinese Buddhist monk; influential writer in Pure Land Buddhism)
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शांताओ: शुद्ध भूमि बौद्ध धर्म के प्रणेता
शांताओ (善導大师) (613-681 ईस्वी), जिन्हें जापानी में ज़ेंडो (Zendō) के नाम से जाना जाता है, चीन, जापान, कोरिया और वियतनाम में शुद्ध भूमि बौद्ध धर्म के एक प्रभावशाली लेखक थे। उनके लेखन का जापान में होनेन और शिनरान सहित बाद के शुद्ध भूमि गुरुओं पर गहरा प्रभाव पड़ा। जोदो शिंशु में, उन्हें पाँचवां कुलपति माना जाता है, जबकि चीनी शुद्ध भूमि बौद्ध धर्म में, उन्हें लुशान हुइयुआन के बाद दूसरा कुलपति माना जाता है।
जीवन और कार्य:
- शांताओ का जन्म 613 ईस्वी में चीन में हुआ था।
- कम उम्र में ही उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया।
- वे शुद्ध भूमि बौद्ध धर्म के प्रबल समर्थक बन गए, जिसका मानना है कि अमिताभ बुद्ध के नाम का जाप करके सुखावती नामक पवित्र भूमि में पुनर्जन्म प्राप्त किया जा सकता है।
- शांताओ ने ध्यान और अमिताभ बुद्ध के नाम के जाप पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने कई ग्रंथ लिखे जो शुद्ध भूमि बौद्ध धर्म के विकास में महत्वपूर्ण साबित हुए।
- उनके सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में "अमिताभ सूत्र उपदेश" और "अनुपम अर्थ का स्तोत्र" शामिल हैं।
प्रभाव:
- शांताओ की शिक्षाओं का चीन और जापान में शुद्ध भूमि बौद्ध धर्म के विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा।
- उन्होंने अमिताभ बुद्ध में विश्वास और सुखावती में पुनर्जन्म प्राप्त करने की इच्छा पर जोर दिया।
- उनकी शिक्षाएँ सभी लोगों के लिए मुक्ति का मार्ग प्रदान करती थीं, चाहे उनकी सामाजिक स्थिति या शैक्षिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
- आज भी, शांताओ को शुद्ध भूमि बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण गुरुओं में से एक माना जाता है। उनके लेखन का दुनिया भर के लाखों लोगों द्वारा अध्ययन और पालन किया जाता है।
Shandao was an influential writer on Pure Land Buddhism, prominent in China, Japan, Korea, and Vietnam. His writings had a strong influence on later Pure Land masters, including Hōnen and Shinran in Japan. In Jōdo Shinshū, he is considered the Fifth Patriarch, while in Chinese Pure Land Buddhism, he is considered the second patriarch after Lushan Huiyuan.