
नानकपंथी
Nanakpanthi
(Religious community in Pakistan and India)
Summary
ननकपंथी : गुरु नानक के अनुयायी
ननकपंथी, जिन्हें नानकशाही भी कहा जाता है, एक सिख सम्प्रदाय है जो सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक (1469-1539) के अनुयायी हैं। "ननकपंथी" शब्द "ननक" और "पंथी" से बना है, जिसका अर्थ है "गुरु नानक के मार्ग का अनुयायी"।
गुरु नानक एक महान संत, कवि और धर्म सुधारक थे जिन्होंने सिख धर्म की नींव रखी। उन्होंने ब्रह्म के एकमात्र अस्तित्व, सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान होने पर जोर दिया, और सभी जीवित प्राणियों के बीच समानता पर जोर दिया। उन्होंने जाति, धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव को खारिज कर दिया, और सभी के लिए मानवता, दया, ईमानदारी और सेवा के मूल्यों को बढ़ावा दिया।
ननकपंथी गुरु नानक के उपदेशों का पालन करते हैं और सिख धर्म के मूल सिद्धांतों को मानते हैं, जैसे कि:
- एक ईश्वर की उपासना: गुरु नानक ने एकमात्र ईश्वर (वाहेगुरु) की उपासना पर जोर दिया जो सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान है।
- सर्वसमत्व: गुरु नानक ने सभी मनुष्यों के बीच समानता पर जोर दिया, चाहे उनके धर्म, जाति या लिंग कोई भी हों।
- कर्म: गुरु नानक ने कर्मों के महत्व पर जोर दिया और अच्छे कर्मों को करने और दूसरों की सेवा करने का आह्वान किया।
- नाम सिमरन: गुरु नानक ने ईश्वर के नाम का स्मरण (नाम सिमरन) को जीवन का मुख्य उद्देश्य बताया।
- निष्काम सेवा: गुरु नानक ने सेवा को सर्वोत्तम पूजा माना और बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की सेवा करने का आह्वान किया।
ननकपंथी अपने दैनिक जीवन में गुरु नानक के उपदेशों का पालन करते हैं और गुरु ग्रंथ साहिब (सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ) का सम्मान करते हैं। वे सिख धर्म के अन्य सिद्धांतों का भी पालन करते हैं, जैसे कि पांच "क" (कंग्हा, कड़ा, कृपाण, कच्छा, और केश), और सिख मंदिरों (गुरुद्वारा) में जाते हैं।
ननकपंथी सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण भाग हैं और गुरु नानक के उपदेशों को दुनिया भर में फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।