
जाप साहिब
Jaap Sahib
(Sikh morning prayer)
Summary
जप साहिब - सिखों की सुबह की प्रार्थना
जप साहिब (या जपु साहिब) सिखों की सुबह की प्रार्थना है, जो पंजाबी भाषा में "जापु साहिब" (ਜਾਪੁ ਸਾਹਿਬ) लिखी जाती है। इसका उच्चारण "जापु साहिब" ([d͡ʒaːpʊ saːɦɪb]) है। यह दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह द्वारा रचित है और सिख धर्म ग्रंथ दसम् ग्रंथ में प्रथम स्थान पर स्थित है।
जप साहिब का महत्व:
- सिखों के लिए महत्वपूर्ण प्रार्थना: यह एक महत्वपूर्ण सिख प्रार्थना है और 'अमृत संचार' (दीक्षा) के दौरान अमृत (पवित्र जल) तैयार करते समय पांच प्यारे (पांच प्रारंभिक सिख) द्वारा इसका पाठ किया जाता है।
- नितनेम का हिस्सा: यह सिखों के 'नितनेम' (रोज़ की ध्यान क्रिया) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- जपजी साहिब से समानता: यह प्रार्थना गुरु नानक द्वारा रचित 'जपजी साहिब' के समान है, दोनों ही प्रार्थनाएँ भगवान की स्तुति करते हैं।
विवरण:
जप साहिब में 40 छंद (पंक्तियाँ) हैं जो भगवान की महिमा और उसके गुणों का वर्णन करते हैं। यह प्रार्थना सिखों को भगवान के प्रति समर्पण, निष्ठा और प्रेम का मार्गदर्शन करती है। यह जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती है, जैसे:
- ईश्वर की शक्ति और महिमा: जप साहिब में ईश्वर को सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और सर्वव्यापी बताया गया है।
- मनुष्य की नश्वरता: यह प्रार्थना हमें याद दिलाती है कि हम मनुष्य नश्वर हैं और जीवन क्षणभंगुर है।
- ईश्वर की सेवा: जप साहिब में ईश्वर की सेवा करने का महत्व बताया गया है।
- सत्य और न्याय का मार्ग: यह प्रार्थना सिखों को सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने का प्रोत्साहन देती है।
निष्कर्ष:
जप साहिब सिख धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है जो सिखों को भगवान के प्रति समर्पण, प्रेम और निष्ठा का मार्गदर्शन करती है। इस प्रार्थना का पाठ सिखों को आध्यात्मिक शक्ति, प्रेरणा और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।