Jawahar_Singh_(wazir)

जवाहर सिंह (वजीर)

Jawahar Singh (wazir)

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जवाहर सिंह औलाख: एक छोटी सी लेकिन महत्वपूर्ण कहानी

जवाहर सिंह औलाख (1814 - 21 सितंबर 1845), जिन्हें अंग्रेजी में जवाहीर सिंह या जावाहीर सिंह भी कहा जाता था, सिख साम्राज्य के वज़ीर थे। उन्होंने महाराजा दलीप सिंह के शासनकाल में 14 मई 1845 से 21 सितंबर 1845 तक यह पद संभाला था। दलीप सिंह की माँ जिंद कौर उनकी बड़ी बहन थीं।

जवाहर सिंह का जीवन और सिख साम्राज्य:

जवाहर सिंह का जन्म 1814 में एक महत्वपूर्ण सिख परिवार में हुआ था। उनकी बहन जिंद कौर ने 1836 में महाराजा रणजीत सिंह से शादी की थी। रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद, सिख साम्राज्य अस्थिर हो गया और उनके छोटे बेटे दलीप सिंह को शासक घोषित किया गया। जिंद कौर, अपने बेटे के संरक्षक के रूप में, शक्ति में आ गईं, और जवाहर सिंह को 14 मई 1845 को वज़ीर नियुक्त किया गया।

अल्पकालिक शासन:

जवाहर सिंह के पास वज़ीर के रूप में केवल चार महीने का समय था। उनके शासनकाल में, सिख साम्राज्य में अशांति और अराजकता का माहौल था। सिख सेना के भीतर कई गुट थे जो सत्ता के लिए लड़ रहे थे, और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सिख साम्राज्य पर हमला करने के लिए तैयारी शुरू कर दी थी।

हत्या और विरासत:

21 सितंबर 1845 को, सिख खालसा सेना के कुछ गुटों ने जवाहर सिंह की हत्या कर दी। उनकी मृत्यु से सिख साम्राज्य में और अधिक अस्थिरता आ गई, जिसके कारण 1845 में प्रथम अंग्रेज़-सिख युद्ध शुरू हुआ। जवाहर सिंह का शासनकाल छोटा था, लेकिन उनकी मृत्यु ने सिख साम्राज्य के पतन की गति को तेज कर दिया।

कुल मिलाकर, जवाहर सिंह की कहानी सिख साम्राज्य के पतन का एक महत्वपूर्ण अंश है। वे सिख साम्राज्य के अंतिम वज़ीर थे, और उनकी हत्या ने एक अस्थिर स्थिति में और भी अधिक अराजकता ला दी।


Jawahar Singh Aulakh, also anglicised as Jawaheer Singh or Jawahir Singh, was Wazir of the Sikh Empire from 14 May 1845 until his assassination by the Sikh Khalsa Army on 21 September of the same year, under his nephew Maharaja Duleep Singh. He was the elder brother of Jind Kaur, Duleep's mother.



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