
जगन्नाथ
Jagannath
(Form of the Hindu deity Vishnu)
Summary
जगन्नाथ: सार्वभौमिक भगवान् (विस्तृत विवरण हिंदी में)
जगन्नाथ ("जगत" + "नाथ" = जगत के नाथ), जिन्हें पुरी के जगन्नाथ के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू देवता हैं जिनकी पूजा पूरे भारत में, विशेष रूप से ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, गुजरात, असम और मणिपुर में की जाती है। यह भगवान विष्णु के अवतार, श्री कृष्ण का ही एक रूप माने जाते हैं। जगन्नाथ को उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ एक त्रिदेव के रूप में पूजा जाता है।
मूर्ति और प्रतीकवाद:
जगन्नाथ की मूर्ति लकड़ी के एक तने से बनी होती है, जिस पर बड़ी-बड़ी गोल आँखें और एक सममित चेहरा उकेरा जाता है। मूर्ति में हाथ या पैर नहीं होते हैं। यह अरूपता, भौतिक सीमाओं से परे ईश्वर की सर्वव्यापी और सर्वव्यापी प्रकृति का प्रतीक है। यह भी माना जाता है कि यह रूप सभी धर्मों और जातियों को समान रूप से स्वीकार करता है।
उत्पत्ति और विकास:
जगन्नाथ की पूजा की उत्पत्ति और विकास स्पष्ट नहीं है। कुछ विद्वान ऋग्वेद के दसवें मंडल के 155वें सूक्त के तीसरे मंत्र को उनका संभावित उद्गम मानते हैं, जबकि अन्य इससे असहमत हैं। कुछ मानते हैं कि यह देवता आदिवासी परंपराओं से निकले हैं और बाद में हिंदू धर्म में शामिल हो गए।
जगन्नाथ धर्म:
ओडिशा में, जगन्नाथ धर्म नामक एक स्वतंत्र क्षेत्रीय परंपरा का विकास हुआ। यहाँ जगन्नाथ को सर्वोच्च ईश्वर, "पुरुषोत्तम" और "परब्रह्म" माना जाता है।
रथ यात्रा:
जगन्नाथ से जुड़ा सबसे प्रसिद्ध उत्सव रथ यात्रा है, जो हर साल जून या जुलाई में मनाया जाता है। इस दौरान, जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को पुरी के जगन्नाथ मंदिर (जिसे "श्री मंदिर" भी कहा जाता है) से विशाल रथों पर निकाला जाता है और गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है।
सार्वभौमिक अपील:
जगन्नाथ को एक गैर-सांप्रदायिक देवता माना जाता है। वे सभी जातियों, धर्मों और वर्गों के लोगों द्वारा पूजनीय हैं। उनकी पूजा में कोई भेदभाव नहीं है और सभी को उनकी कृपा प्राप्त होती है।
विदेशों में प्रभाव:
"जगन्नाथ" शब्द अंग्रेजी भाषा में "Juggernaut" के रूप में प्रचलित हुआ, जिसका अर्थ है एक विशाल और अजेय शक्ति। यह शब्द पुरी की रथ यात्रा के दौरान दिखाई देने वाली भारी भीड़ और रथों की अदम्य गति से प्रेरित है।
निष्कर्ष:
जगन्नाथ, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं जो सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान ईश्वर का प्रतीक हैं। उनकी पूजा भक्ति, प्रेम और समर्पण का एक अनूठा संगम प्रस्तुत करती है।