
अश्वघोष
Aśvaghoṣa
(2nd century Buddhist Indian poet and philosopher)
Summary
अश्वघोष: एक महान बौद्ध विद्वान और कवि
अश्वघोष (लगभग 80 - 150 ईस्वी), जिन्हें अश्वघोष के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय बौद्ध दार्शनिक, नाटककार, कवि, संगीतज्ञ और वक्ता थे। उनका जन्म साकेत में हुआ था, जिसे आज हम अयोध्या के नाम से जानते हैं।
महत्वपूर्ण कार्य और उपलब्धियाँ:
- संस्कृत के पहले नाटककार: ऐसा माना जाता है कि अश्वघोष संस्कृत भाषा के पहले नाटककार थे।
- कालिदास से पहले के सबसे महान कवि: उन्हें कालिदास से पहले के सबसे महान भारतीय कवि के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।
- कनिष्क के समकालीन और आध्यात्मिक सलाहकार: यह संभव है कि वे पहली शताब्दी में कनिष्क के समकालीन और आध्यात्मिक सलाहकार रहे हों।
- बौद्ध दरबारी लेखकों में अग्रणी: वे उन बौद्ध दरबारी लेखकों में सबसे प्रसिद्ध थे जिनके महाकाव्यों ने समकालीन रामायण को टक्कर दी थी।
- संस्कृत में रचना: जहाँ अश्वघोष से पहले अधिकांश बौद्ध साहित्य पाली और प्राकृत में रचा गया था, वहीं अश्वघोष ने शास्त्रीय संस्कृत में लिखा।
संबंधित संप्रदाय:
यह माना जाता है कि अश्वघोष का संबंध सर्वस्तिवाद या महासंघिक संप्रदाय से रहा होगा।
नाम का अर्थ:
"अश्वघोष" नाम का अर्थ "घोड़े की आवाज वाला" होता है। तिब्बती भाषा में उन्हें "སློབ་དཔོན་དཔའ་བོ" (slob dpon dpa' bo) कहा जाता है, जिसका अर्थ भी यही है। चीनी भाषा में उन्हें "馬鳴菩薩" (Mǎmíng púsà) कहा जाता है, जिसका अर्थ है "घोड़े की आवाज वाला बोधिसत्व"।
निष्कर्ष:
अश्वघोष भारतीय साहित्य और बौद्ध दर्शन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उनकी रचनाओं ने संस्कृत साहित्य को समृद्ध किया और बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।