Kasaya_(clothing)

कासया (वस्त्र)

Kasaya (clothing)

(Buddhist Cassock worn by fully-ordained Buddhist monks and nuns)

Summary
Info
Image
Detail

Summary

भगवा वस्त्र: बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों की पहचान

काषाय पूरी तरह से दीक्षित बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों द्वारा पहने जाने वाले वस्त्रों को कहते हैं, जिनका नाम भूरे या केसरिया रंग के कारण पड़ा है। संस्कृत और पाली भाषा में, इन वस्त्रों को चीवर भी कहा जाता है, जो रंग का उल्लेख किए बिना सामान्य रूप से वस्त्रों का उल्लेख करता है।

चीवर:

  • चीवर शब्द का अर्थ 'रंग' या 'चमक' से जुड़ा है।
  • यह वस्त्र तीन भागों में विभाजित होता है:
    • अंतर्वास: यह शरीर के निचले हिस्से को ढकने वाला वस्त्र है।
    • उत्तरसंग: यह शरीर के ऊपरी हिस्से को ढकने वाला वस्त्र है।
    • संघाटी: यह एक बड़ा वस्त्र है जो कंधे पर लपेटा जाता है, खासकर औपचारिक अवसरों पर।
  • ये वस्त्र सादगी और विरक्ति का प्रतीक हैं।

रंग:

  • परंपरागत रूप से, इन वस्त्रों को केसरिया या भूरे रंग में रंगा जाता था, जो गेरू मिट्टी या पेड़ों की छाल जैसे प्राकृतिक रंगों से प्राप्त होता था।
  • रंग क्षेत्रीय और सांस्कृतिक विविधताओं के अधीन भिन्न हो सकता है।
  • दक्षिण पूर्व एशिया में चमकीले पीले, नारंगी और लाल रंग के वस्त्र प्रचलित हैं।
  • तिब्बती बौद्ध परंपरा में लाल रंग के वस्त्र अधिक सामान्य हैं।

महत्व:

  • काषाय वस्त्र बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों की पहचान होते हैं।
  • ये वस्त्र सांसारिक मोह-माया और सामाजिक हैसियत का त्याग दर्शाते हैं।
  • ये विनम्रता, सादगी और आध्यात्मिक अभ्यास का प्रतीक हैं।
  • काषाय धारण करने का अर्थ है कि व्यक्ति बुद्ध, धम्म और संघ के प्रति समर्पित है।

निष्कर्ष:

काषाय वस्त्र बौद्ध परंपरा में एक गहन प्रतीकात्मक महत्व रखते हैं। ये वस्त्र सिर्फ़ पोशाक नहीं हैं, बल्कि एक साधक के आध्यात्मिक जीवन और संकल्प का प्रतीक हैं।


Kāṣāya are the robes of fully ordained Buddhist monks and nuns, named after a brown or saffron dye. In Sanskrit and Pali, these robes are also given the more general term cīvara, which references the robes without regard to color.



...
...
...
...
...
An unhandled error has occurred. Reload 🗙