Samavasarana

समवशरण

Samavasarana

(Divine preaching hall of the Tirthankara in Jainism)

Summary
Info
Image
Detail

Summary

समवसरण: जैन धर्म का दिव्य उपदेश स्थल

जैन धर्म में, समवसरण या सामोशरण ("सभी के लिए शरण") तीर्थंकर के दिव्य उपदेश हॉल को कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसमें 20,000 से भी अधिक सीढ़ियाँ हैं। "समवसरण" शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: "सम", जिसका अर्थ है "सामान्य" और "अवसर", जिसका अर्थ है "मौका"। यह जैन कला में एक महत्वपूर्ण विशेषता है। ऐसा प्रतीत होता है कि समवसरण ने पूजा की वस्तु के रूप में मूल जैन स्तूप का स्थान ले लिया है।

विस्तार से:

समवसरण एक अलौकिक और अद्भुत रचना है जो स्वतः प्रकट होती है जब कोई आत्मा तीर्थंकर के रूप में मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर होता है। यह एक दिव्य सभा स्थल है जहाँ देव, मनुष्य और तिर्यंच सभी एक साथ तीर्थंकर के उपदेश सुनने के लिए आते हैं।

समवसरण की विशेषताएँ:

  • यह एक विशाल और भव्य संरचना होती है जो सोने, चांदी, रत्नों और सुगंधित फूलों से सुसज्जित होती है।
  • इसमें अनेक चमत्कारी गुण होते हैं। उदाहरण के लिए, यहाँ सभी को उनकी अपनी भाषा में तीर्थंकर के उपदेश सुनाई देते हैं।
  • समवसरण में तीर्थंकर के सिंहासन के साथ-साथ देवी-देवताओं, मानवों और तिर्यंचों के लिए अलग-अलग आसन होते हैं।
  • तीर्थंकर यहां से "धर्म" का उपदेश देते हैं, जो जीवन और मोक्ष का मार्ग दर्शाता है।

समवसरण जैन धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह ज्ञान, शांति और मोक्ष का प्रतीक है। यह दिखाता है कि सभी जीवों को मोक्ष प्राप्त करने का अवसर प्राप्त है।


In Jainism, Samavasarana or Samosharana is the divine preaching hall of the Tirthankara, stated to have more than 20,000 stairs in it. The word samavasarana is derived from two words, sama, meaning general and avasara, meaning opportunity. It is an important feature in Jain art. The Samavasarana seems to have replaced the original Jain stupa as an object of worship.



...
...
...
...
...
An unhandled error has occurred. Reload 🗙