
सिद्धशिला
Siddhashila
(Apex of the universe in Jain cosmology)
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Siddhashila: जैन धर्म में मुक्ति का शिखर
"सिद्धशिला" जैन ब्रह्मांड विज्ञान में एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यह ब्रह्मांड के सबसे ऊपरी शिखर पर स्थित माना जाता है। जैन धर्म के अनुसार, जो आत्माएँ "अरिहंत" और "तीर्थंकर" बनकर मोक्ष प्राप्त कर लेती हैं, उनकी मृत्यु के पश्चात वे इसी सिद्धशिला में निवास करती हैं।
मोक्ष प्राप्ति के बाद, जब ये आत्माएँ अपना नश्वर शरीर त्याग देती हैं, तो उन्हें "सिद्ध" कहा जाता है। इसीलिए इस स्थान को "सिद्धशिला" कहा जाता है, जिसका अर्थ है "सिद्धों का निवास स्थान"।
यहाँ सिद्धशिला के बारे में कुछ और महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी जा रही हैं:
- अनंत आनंद का स्थान: सिद्धशिला को अनंत आनंद और ज्ञान का स्थान माना जाता है। यहाँ न तो दुःख है, न ही जन्म-मरण का चक्र।
- सर्वज्ञता की प्राप्ति: सिद्धशिला में रहने वाले सिद्धों को सर्वज्ञता प्राप्त होती है, अर्थात वे अतीत, वर्तमान और भविष्य - सब कुछ जानते हैं।
- अनंत काल तक निवास: सिद्धशिला में पहुँचने के बाद, आत्माएँ वहाँ अनंत काल तक निवास करती हैं, और उन्हें पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
- प्रेरणा का स्रोत: जैन धर्म में, सिद्धशिला को एक पवित्र और प्रेरणादायक स्थान माना जाता है, जो सभी जीवों को मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।
संक्षेप में, सिद्धशिला जैन धर्म में मुक्ति और पूर्णता का प्रतीक है, जहाँ केवल मुक्त आत्माओं का ही निवास होता है।
Siddhashila is an area in Jain cosmology at the apex of the universe, which is where the Jains believe people who have become arihants and tirthankaras go after they die and attain moksha. Such people are called siddhas after they discard their mortal body, hence the origin of the term.