Bhagat_Bhikhan

भगत भीखन

Bhagat Bhikhan

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भगत भीखन : एक मध्ययुगीन भारतीय भक्ति कवि-संत

भगत भीखन (पंजाबी: ਭਗਤ ਭੀਖਨ, उच्चारण: [bhæɡæt̪ bhiːkʰɪn]) (1480–1573), एक मध्ययुगीन भारतीय भक्ति कवि-संत थे, जिनके दो भजन गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल हैं। उस समय के दो संतों ने एक ही नाम साझा किया - भगत भीखन और शेख भीखन, सूफी।

विवरण:

  • जीवनकाल: 1480 से 1573 तक।
  • धर्म: हिंदू धर्म, भक्ति आंदोलन का अनुयायी।
  • कार्य: भक्ति कविता, भजन लिखना।
  • विशेषता: भगत भीखन की कविता में भगवान के प्रति प्रेम, भक्ति, और आध्यात्मिक ज्ञान को दर्शाया गया है।
  • गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल भजन: उनके दो भजन गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल हैं, जो सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ हैं।

अन्य जानकारी:

  • शेख भीखन: उसी नाम के एक और संत, शेख भीखन, जो एक सूफी संत थे, के साथ उन्हें अक्सर मिला दिया जाता है।
  • भक्ति आंदोलन: भगत भीखन भक्ति आंदोलन का हिस्सा थे, जो 12वीं शताब्दी में भारत में शुरू हुआ था। यह आंदोलन भगवान के प्रति प्रत्यक्ष भक्ति और प्रेम पर जोर देता था।

निष्कर्ष:

भगत भीखन एक प्रसिद्ध भक्ति कवि-संत थे, जिनके भजन आज भी सिखों द्वारा गाए जाते हैं और उनसे प्रेरणा ली जाती है। उनकी कविता में भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान का सम्मिश्रण उनकी अद्वितीय प्रतिभा को दर्शाता है।


Bhagat Bhikhan (Punjabi: ਭਗਤ ਭੀਖਨ, pronunciation: ) (1480–1573), was a medieval Indian Bhakti poet-saint, whose two hymns are included in the Guru Granth Sahib. There were two saints of that time sharing the same name — Bhagat Bhikhan and Sheikh Bhikhan, the Sufi.



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