Kahan_Singh_Nakai

काहन सिंह नकई

Kahan Singh Nakai

(Sikh Chief)

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सरदार कहन सिंह नकाई : एक शक्तिशाली सिख सरदार की कहानी

सरदार कहन सिंह नकाई (निधन 1873), नकाई मिसल के छठे और अंतिम प्रमुख थे। वे प्रसिद्ध सिख सरदार, रण सिंह नकाई और सरदारनी कर्मो कौर के पोते थे। उनकी चाची, महारानी दातार कौर, सिख साम्राज्य के संस्थापक, महाराजा रणजीत सिंह की पत्नी थीं, जिससे कहन सिंह "शेर-ए-पंजाब" के भतीजे बन गए।

कहन सिंह ने अपनी युवावस्था से ही अपने पिता के साथ युद्ध अभियानों में भाग लिया और महाराजा रणजीत सिंह के निर्देशन में खुद भी कई अभियानों का नेतृत्व किया। उनके चचेरे भाई, खड़क सिंह, सिख साम्राज्य के दूसरे महाराजा बने। कहन सिंह तीसरे महाराजा, नौ निहाल सिंह के चाचा भी थे।

नकाई मिसल:

नकाई मिसल, पंजाब के एक प्रमुख सिख मिसल (स्वतंत्र राज्य) था, जिसकी स्थापना 18वीं शताब्दी में रण सिंह नकाई ने की थी। इस मिसल का प्रभाव पंजाब के कई इलाकों में फैला हुआ था और यह महाराजा रणजीत सिंह के सिख साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।

कहन सिंह का महत्त्व:

कहन सिंह नकाई, नकाई मिसल के अंतिम प्रमुख होने के साथ-साथ, सिख साम्राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे। उन्होंने अपने पिता और चाचा के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण अभियानों में भाग लिया और सिख साम्राज्य को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके चचेरे भाई और भतीजे, सिख साम्राज्य के शासक भी बने, जिससे वे सिख इतिहास में एक महत्वपूर्ण वंश के सदस्य बन गए।


Sardar Kahan Singh Nakai was the sixth and the last chief of the Nakai Misl. He was the grandson of the famous Sikh chief, Ran Singh Nakai and Sardarni Karmo Kaur. His aunt, Maharani Datar Kaur was the wife of Maharaja Ranjit Singh, founder of the Sikh Empire; thus making him the nephew of the Sher-e-Punjab. From an early age he assisted his father in campaigns and even commanded campaigns assigned to him by his uncle, Maharaja Ranjit Singh. His cousin, Kharak Singh went to become the second Maharaja of the Sikh Empire. He was the uncle of the third Maharaja, Nau Nihal Singh.



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