Kashaya_(Jainism)

कषाय (जैन धर्म)

Kashaya (Jainism)

(Passions which must be purged)

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कषाय: जैन धर्म में सांसारिक बंधन

जैन धर्म में, "कषाय" का अर्थ है "राग" या "वासना"। ये ऐसी भावनाएँ और विचार हैं जो आत्मा को बांधकर रखते हैं और उसे मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त करने से रोकते हैं। जैन धर्म के अनुसार, जब तक व्यक्ति में कषाय रहते हैं, तब तक वह जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त नहीं हो सकता।

कषायों के प्रकार:

चार मुख्य प्रकार के कषाय हैं:

  1. क्रोध (क्रोध): यह गुस्सा, नफरत, और बदले की भावना है। यह कषाय हिंसा, क्रूरता, और कटुता को जन्म देता है।
    • उदाहरण: किसी व्यक्ति पर गुस्सा करना, किसी को नुकसान पहुँचाने की इच्छा रखना।
  2. मान (गर्व): यह अहंकार, घमंड और श्रेष्ठता की भावना है। यह कषाय अहंकार, घमंड, और दूसरों को नीचा दिखाने की इच्छा को जन्म देता है।
    • उदाहरण: अपनी सुंदरता, बुद्धिमत्ता, या धन पर घमंड करना, दूसरों को तुच्छ समझना।
  3. माया (छल): यह धोखा, कपट और बेईमानी की भावना है। यह कषाय झूठ, चोरी, और विश्वासघात को जन्म देता है।
    • उदाहरण: किसी को धोखा देना, झूठ बोलना, किसी का विश्वास तोड़ना।
  4. लोभ (लालच): यह लालच, लालसा, और तृष्णा की भावना है। यह कषाय धन, संपत्ति, और भौतिक सुखों की अत्यधिक इच्छा को जन्म देता है।
    • उदाहरण: अधिक से अधिक धन कमाने की लालसा, किसी वस्तु या व्यक्ति के प्रति अस्वाभाविक लगाव।

कषायों की तीव्रता:

प्रत्येक कषाय की तीव्रता अलग-अलग हो सकती है।

  • अनुत्तर कषाय: यह कषायों की सबसे तीव्र अवस्था है, जिसमें व्यक्ति पूरी तरह से अपने कर्मों के वशीभूत हो जाता है और उसे सही-गलत का भान नहीं रहता।
  • देशवीर कषाय: यह कषायों की मध्यम अवस्था है, जिसमें व्यक्ति को अपने कर्मों का आंशिक भान होता है, लेकिन वह अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाता।
  • उपशांत कषाय: यह कषायों की हल्की अवस्था है, जिसमें व्यक्ति अपने कर्मों के प्रति सचेत रहता है और अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखने का प्रयास करता है।
  • क्षीण कषाय: यह वह अवस्था है जिसमें कषाय लगभग समाप्त हो चुके होते हैं और व्यक्ति मोक्ष के निकट होता है।

जैन धर्म में, कषायों पर विजय प्राप्त करना आध्यात्मिक प्रगति का एक महत्वपूर्ण पहलू माना जाता है। ध्यान, संयम, और सदाचार के माध्यम से, व्यक्ति इन कषायों को कमजोर कर सकता है और अंततः मोक्ष प्राप्त कर सकता है।


In Jainism, Kashaya are aspects of a person that can be gained during their worldly life. According to the Jaina religion as long as a person has Kashayas, they will not escape the cycle of life and death. There are four different kind of Kashayas, each being able to gain their own kinds of intensity.



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