
त्रिस्तरीय प्रशिक्षण
Threefold Training
(Buddhist practices for higher virtue, mind, and wisdom)
Summary
बुद्ध के अनुसार त्रिशिक्षा (तीन प्रकार के प्रशिक्षण)
बुद्ध ने मुक्ति के मार्ग पर चलने के लिए त्रिशिक्षा (तीन प्रकार के प्रशिक्षण) पर ज़ोर दिया। यह त्रिशिक्षा है:
१. अधिशील शिक्षा (उच्च नैतिक आचरण):
यह त्रिशिक्षा का पहला चरण है जिसमें हमें अपने विचारों, वाणी और कर्मों को शुद्ध और सदाचारी बनाना होता है। इसके लिए हमें पंचशील का पालन करना आवश्यक है:
- अहिंसा: किसी भी प्राणी को हानि न पहुँचाना।
- अस्तेय: चोरी न करना।
- ब्रह्मचर्य: काम भावनाओं पर नियंत्रण रखना।
- सत्य: सच बोलना और झूठ से बचना।
- अपरिग्रह: लोभ और मोह से दूर रहना।
अधिशील शिक्षा हमारे मन को शांत और स्थिर बनाती है, जो ध्यान के लिए आवश्यक है।
२. अधिचित्त शिक्षा (उच्च मानसिक विकास):
इसमें ध्यान और एकाग्रता का अभ्यास शामिल है। ध्यान के द्वारा हम अपने मन को शांत करके अंतर्मुखी बनाते हैं। इससे हम अज्ञानता और मानसिक क्लेशों से मुक्ति पाते हैं।
३. अधिप्रज्ञा शिक्षा (उच्च ज्ञान):
यह त्रिशिक्षा का अंतिम चरण है जिसमें हम चार आर्य सत्यों और अष्टांगिक मार्ग का सही ज्ञान प्राप्त करते हैं। यह ज्ञान हमें दुःख के कारणों और उनसे मुक्ति का मार्ग दिखाता है।
महत्व:
त्रिशिक्षा बुद्ध के शिक्षाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमें दुःखों से मुक्ति पाने और निर्वाण प्राप्त करने का मार्ग दिखाती है।
संक्षेप में:
त्रिशिक्षा हमें एक संपूर्ण जीवन जीने का मार्ग दिखाती है। इसके द्वारा हम अपने मन और कर्मों को शुद्ध करके ज्ञान और मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।