
संवत्सरी
Samvatsari
(Last day of Paryushana for the Shvetambara sect of Jainism)
Summary
संवत्सरी - क्षमादान का पावन दिन
जैन धर्म के श्वेतांबर संप्रदाय में संवत्सरी (संस्कृत: संवत्सरी) पर्यूषण पर्व का अंतिम दिन है। यह जैन कैलेंडर के भाद्रपद महीने में शुक्ल चतुर्थी को पड़ता है, जो हर साल अगस्त के मध्य से सितंबर के मध्य तक आता है।
इस दिन, जैन धर्म के अनुयायी सभी जीवों से अपने जाने-अनजाने किए गए पापों के लिए क्षमा मांगते हैं और उन्हें क्षमा करते हैं। इस दिन एक विस्तृत तपस्या और पश्चाताप का आयोजन किया जाता है, जिसे "संवत्सरी प्रतिक्रमाण" कहते हैं। प्रतिक्रमाण के बाद, जैन सभी प्राणियों, दोस्तों और रिश्तेदारों से क्षमा याचना करते हैं। यह क्षमा याचना "मिच्छामी दुक्कडम" या इसके समान वाक्यांशों जैसे "खमाऊ सा", "उत्तम क्षमा" या "खमात खम्ना" का उपयोग करके की जाती है।
संवत्सरी का अर्थ है "वार्षिक दिन" या "क्षमादान का दिन"। इस दिन जैन धर्म के अनुयायी अपने जीवन के सभी पापों का पश्चाताप करते हैं और सभी जीवों से क्षमा मांगते हैं। यह जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो समझौता, क्षमादान और आत्मशुद्धि का प्रतीक है।