Dadhichi

दधीचि

Dadhichi

(Sage in Hindu scriptures)

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दधीचि: त्याग और वज्र की कहानी

हिंदू धर्म में दधीचि एक महान ऋषि हैं। उन्हें पुराणों में उनके त्याग के लिए जाना जाता है। दधीचि को कभी-कभी दध्यंग और दध्यंच भी कहा जाता है।

दधीचि की कहानी:

एक समय की बात है, जब असुरों के राजा वृत्र ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया था। वृत्र बहुत शक्तिशाली था, और कोई भी उसे हरा नहीं सकता था। देवताओं ने इंद्र से वृत्र का वध करने का अनुरोध किया, लेकिन इंद्र को वृत्र को हराने के लिए एक अत्यंत शक्तिशाली हथियार की आवश्यकता थी।

तब इंद्र ने दधीचि ऋषि से प्रार्थना की। उन्होंने दधीचि से अपने शरीर के अस्थिदान की मांग की, ताकि उनसे वज्र बनाया जा सके। दधीचि एक महान त्यागी थे, और उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी हड्डियां इंद्र को दान कर दीं।

इंद्र ने दधीचि की हड्डियों से वज्र बनाया, जो एक बेहद शक्तिशाली हथियार था। इस वज्र से इंद्र ने वृत्र का वध किया और देवताओं को मुक्ति दिलाई।

दधीचि का त्याग:

दधीचि का त्याग हिंदू धर्म में एक महान आदर्श है। उनका त्याग हमें जीवन में कर्तव्य, निस्वार्थता और त्याग के महत्व को समझाता है।

दधीचि का महत्व:

दधीचि की कहानी विभिन्न पौराणिक कथाओं में प्रसिद्ध है। यह कहानी न केवल त्याग और बलिदान के महत्व को दर्शाती है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए बलिदान करना ही सच्चा धर्म है।


Dadhichi, also rendered Dadhyanga and Dadhyancha, is a sage in Hinduism. He is best known for his sacrifice in the Puranas, where he gives up his life so that his bones could be used to manufacture the Vajra, the diamond-like celestial thunderbolt of the deity Indra, in order to slay Vritra.



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