
वैष्णो देवी
Chhinnamasta
(Hindu goddess)
Summary
छिन्नमस्ता: विरोधाभासों की देवी
छिन्नमस्ता (संस्कृत: छिन्नमस्ता, Chinnamastā), जिन्हें चिन्नामास्टा, प्रचंड चंडिका और पश्चिमी भारत में जोगनी माँ के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू देवी हैं। वे महाविद्याओं में से एक हैं, जो तंत्र की गूढ़ परंपरा की दस देवियों में से एक हैं, और महादेवी, हिंदू माता देवी का एक क्रूर रूप हैं। यह स्वयं का सिर काट लेने वाली नग्न देवी आमतौर पर एक दिव्य मैथुनरत जोड़े पर खड़ी या बैठी दिखाई जाती हैं, एक हाथ में अपना कटा हुआ सिर और दूसरे हाथ में कृपाण धारण किए हुए। उनके खून बहते गले से तीन धारियाँ निकलती हैं, जिन्हें उनके कटे हुए सिर और दो परिचारक पीते हैं।
छिन्नमस्ता का प्रतीकवाद: जीवन और मृत्यु का संगम
छिन्नमस्ता विरोधाभासों की देवी हैं। वे देवी के दोनों पहलुओं का प्रतीक हैं: जीवन-दात्री और जीवन-हरणकर्ता। व्याख्या के आधार पर, उन्हें यौन संयम का प्रतीक और यौन ऊर्जा का अवतार दोनों माना जाता है। वे मृत्यु, क्षणिकता और विनाश के साथ-साथ जीवन, अमरता और पुनर्निर्माण का प्रतिनिधित्व करती हैं। देवी आध्यात्मिक आत्म-साक्षात्कार और कुंडलिनी - आध्यात्मिक ऊर्जा के जागरण का संदेश देती हैं। छिन्नमस्ता की कथाएँ उनके आत्म-बलिदान पर ज़ोर देती हैं - कभी-कभी एक मातृ तत्व के साथ जोड़ा जाता है - यौन प्रभुत्व और आत्म-विनाशकारी क्रोध।
पूजा और महत्व
छिन्नमस्ता की पूजा शाक्त परंपरा के कालीकुल संप्रदाय में की जाती है। हालाँकि छिन्नमस्ता महाविद्याओं में से एक के रूप में संरक्षण प्राप्त करती हैं, फिर भी उनके लिए समर्पित मंदिर (ज्यादातर नेपाल और पूर्वी भारत में पाए जाते हैं) और उनकी सार्वजनिक पूजा दुर्लभ है। हालाँकि, वे एक महत्वपूर्ण तांत्रिक देवी हैं, जो गूढ़ तांत्रिक साधकों के बीच प्रसिद्ध और पूजनीय हैं। छिन्नमस्ता तिब्बती बौद्ध देवी वज्रयोगिनी के कटे हुए सिर वाले रूप - चिन्नामंडा से निकटता से संबंधित हैं। उनकी छवि अक्सर भयानक और जटिल होती है, लेकिन गहन आध्यात्मिक अर्थों से भरपूर है जो आत्म-बलिदान, परिवर्तन और आध्यात्मिक मुक्ति का संदेश देते हैं। उनकी पूजा मुख्यतः गुप्त तांत्रिक अनुष्ठानों के दौरान की जाती है।