Charvaka

चार्वाक

Charvaka

(Ancient school of Indian materialism)

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चार्वाक दर्शन: एक सरल व्याख्या और विस्तृत विवरण (हिंदी में)

चार्वाक (संस्कृत: चार्वाक; IAST: Cārvāka), जिसे लोकायत के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन भारतीय भौतिकवाद का एक महत्वपूर्ण दर्शन है। इसे प्राचीन भारतीय दर्शनों में नास्तिक विचारधारा का एक प्रमुख उदाहरण माना जाता है।

चार्वाक दर्शन के मुख्य सिद्धांत:

  • प्रत्यक्ष प्रमाण को सर्वोपरि मान्यता: यह दर्शन केवल प्रत्यक्ष अनुभव और अवलोकन को ही ज्ञान का स्रोत मानता है। जो कुछ इंद्रियों द्वारा अनुभव न किया जा सके, उसे यह अस्तित्वहीन मानता है।
  • अनुभववाद: यह दर्शन अनुभव पर आधारित ज्ञान को ही सत्य मानता है और किसी भी प्रकार के अलौकिक या आध्यात्मिक तत्वों को स्वीकार नहीं करता।
  • तार्किक अनुमान: यह दर्शन तर्क और युक्ति का प्रयोग करके निष्कर्ष पर पहुँचने को महत्त्व देता है।
  • संदेहवाद: यह दर्शन किसी भी मान्यता को बिना प्रमाण के स्वीकार नहीं करता और हर बात पर तर्क और प्रमाण की मांग करता है।
  • कर्मकांडों का खंडन: चार्वाक दर्शन धार्मिक कर्मकांडों, यज्ञ, अनुष्ठान आदि को व्यर्थ और निरर्थक मानता है।

उत्पत्ति और इतिहास:

चार्वाक दर्शन का विकास पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व में हिंदू धर्म के सुधार काल के दौरान हुआ था। माना जाता है कि यह दर्शन गौतम बुद्ध द्वारा बौद्ध धर्म की स्थापना और पार्श्वनाथ द्वारा जैन धर्म के पुनर्गठन के बाद अस्तित्व में आया था।

परंपरागत रूप से, बृहस्पति नामक एक दार्शनिक को चार्वाक या लोकायत दर्शन का संस्थापक माना जाता है, हालाँकि कुछ विद्वान इस बात पर मतभेद रखते हैं। इसके सिद्धांतों का संकलन ऐतिहासिक द्वितीयक साहित्य, जैसे शास्त्रों, सूत्रों और भारतीय महाकाव्यों से किया गया है।

चार्वाक ज्ञानमीमांसा:

चार्वाक ज्ञानमीमांसा कहती है कि जब भी कोई व्यक्ति टिप्पणियों या सत्यों के समूह से किसी सत्य का अनुमान लगाता है, तो उसे संदेह को स्वीकार करना चाहिए। अर्थात, अनुमानित ज्ञान सशर्त होता है।

वर्गीकरण:

चार्वाक को भारतीय दर्शन के नास्तिक संप्रदायों में से एक के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

महत्व:

चार्वाक दर्शन, प्राचीन भारत में प्रचलित एक महत्वपूर्ण विचारधारा थी जिसने धार्मिक मान्यताओं और कर्मकांडों पर प्रश्नचिन्ह लगाया और तर्क, युक्ति और अनुभव को प्रधानता दी। इसने भौतिकवाद, नास्तिकता और संदेहवाद को बढ़ावा दिया।


Charvaka, also known as Lokāyata, is an ancient school of Indian materialism. It is considered as one example of the atheistic schools in the Ancient Indian philosophies. Charvaka holds direct perception, empiricism, and conditional inference as proper sources of knowledge, embraces philosophical skepticism and rejects ritualism. It was a well-attested belief system in ancient India.



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