Sewapanthi

सेवापंथी

Sewapanthi

(Traditional Sikh sect)

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सेवापंथी: सेवा और समर्पण की परंपरा

सेवापंथी, जिसे सेवपंथी या अड्डांशाही भी कहा जाता है, एक पारंपरिक सिख संप्रदाय (संपर्दा) है। इसकी शुरुआत भाई कन्हैया ने की थी, जो नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर के एक निजी अनुयायी थे। गुरु तेग बहादुर ने भाई कन्हैया को मानवता की सेवा करने का निर्देश दिया था। इस निर्देश का पालन करते हुए, भाई कन्हैया ने पंजाब के अटॉक जिले में एक धर्मशाला स्थापित की और बिना किसी भेदभाव के लोगों की सेवा की।

सेवापंथी को अड्डांशाही भी कहा जाता है। यह नाम भाई कन्हैया के एक शिष्य, अड्डां शाह से लिया गया है।

सेवापंथी धर्मशालाओं में:

  • सेवा का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है।
  • सभी जाति, धर्म और समुदायों के लोग एक समान रूप से स्वागत करते हैं।
  • भोजन और आश्रय मुफ्त प्रदान किया जाता है।
  • सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

सेवापंथी अपने जीवन में गुरु के उपदेशों का पालन करते हैं।

उनके मूल सिद्धांत हैं:

  • ईश्वर में विश्वास
  • सच्ची सेवा
  • सभी जीवों के प्रति प्रेम
  • सादगी और ईमानदारी
  • समाज की सेवा

आज, सेवापंथी पूरे पंजाब और दुनिया भर में फैले हुए हैं। वे अपनी सेवा और समर्पण के लिए जाने जाते हैं।


Sewapanthi, alternatively spelt as Sevapanthi, and also known as Addanshahi, is a traditional Sikh sect or order (samparda) that was started by Bhai Kanhaiya, a personal follower of the ninth Sikh Guru, Guru Tegh Bahadur. Kanhaiya was instructed by the Guru to go out and serve humanity, which he did by establishing a Dharmsala in the Attock district of Punjab and serving indiscriminately. Sewa Panthis are also known as 'Addan Shahis'. This name is derived from one of Bhai Kanhaiya's disciples, Addan Shah.



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