
पश्चिमी तुल्कु
Western tulku
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Summary
पश्चिमी तुलकु: एक नया अध्याय तिब्बती बौद्ध धर्म में
तुलकु, तिब्बती बौद्ध धर्म में, उन गुरुओं को कहते हैं जिनके बारे में माना जाता है कि वे अपनी मृत्यु के बाद पुनर्जन्म लेते हैं। ये पुनर्जन्म किसी भी रूप में हो सकते हैं, लेकिन अक्सर इन्हें एक बच्चे के रूप में पहचाना जाता है। इस बच्चे को फिर तुलकु का खिताब दिया जाता है और उन्हें उनके पिछले जीवन के ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति को प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
पश्चिमी तुलकु एक अपेक्षाकृत नई घटना है। ये ऐसे लोग हैं जो पश्चिमी देशों में पैदा हुए हैं लेकिन उन्हें तिब्बती बौद्ध गुरुओं का पुनर्जन्म माना जाता है। इनमें से कुछ लोग तिब्बती मूल के हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर गैर-तिब्बती होते हैं।
१९७० के दशक से, जब तिब्बती बौद्ध धर्म पश्चिमी देशों में फैलने लगा, तब से पश्चिमी तुलकु की पहचान होने लगी।
पश्चिमी तुलकु की अवधारणा ने बौद्ध समुदायों में काफी चर्चा छेड़ी है।
- कुछ लोग इसे प्राच्यवाद का एक रूप मानते हैं, जहाँ पश्चिमी लोग पूर्वी संस्कृतियों को आदर्श बना रहे हैं।
- जबकि कुछ का मानना है कि यह तिब्बती बौद्ध धर्म के वैश्वीकरण का संकेत है, जो एक वैश्विक और पार-सांस्कृतिक रूप ले रहा है।
यह बहस अभी भी जारी है और यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में पश्चिमी तुलकु की अवधारणा कैसे विकसित होती है।