
वज्रपाणि
Vajrapani
(Deity in Buddhism)
Summary
वज्रपाणि: बुद्ध के रक्षक और मार्गदर्शक (Vajrapāni: Protector and Guide of Buddha)
वज्रपाणि, जिसका अर्थ है "हाथ में वज्र धारण करने वाला", महायान बौद्ध धर्म में सबसे पहले प्रकट होने वाले बोधिसत्वों में से एक हैं। वे गौतम बुद्ध के रक्षक और मार्गदर्शक हैं और बुद्ध की शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजे जाते हैं।
प्रमुख विशेषताएँ:
- नाम का अर्थ: वज्रपाणि नाम संस्कृत शब्दों 'वज्र' (इंद्र का अस्त्र) और 'पाणि' (हाथ) से मिलकर बना है।
- प्रारंभिक बोधिसत्व: वज्रपाणि महायान बौद्ध धर्म में सबसे पहले प्रकट होने वाले बोधिसत्वों में से एक हैं।
- रक्षक और मार्गदर्शक: वे गौतम बुद्ध के रक्षक और मार्गदर्शक माने जाते हैं।
- बुद्ध की शक्ति का प्रतीक: वज्रपाणि बुद्ध की असीम शक्ति का प्रतीक हैं।
भूमिका और महत्व:
त्रिमूर्ति का हिस्सा: वज्रपाणि बुद्ध के आसपास के तीन प्रमुख रक्षक देवताओं या बोधिसत्वों में से एक हैं।
- मंजूश्री: बुद्ध की बुद्धि का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- अवलोकितेश्वर: बुद्ध की करुणा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- वज्रपाणि: बुद्ध की शक्ति और सभी पांचों तथागतों (बुद्ध के स्तर की बुद्धता) की शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
धर्मपाल: वज्रपाणि महायान बौद्ध धर्म के शुरुआती धर्मपालों में से एक हैं।
थेरवाद परंपरा: वज्रपाणि थेरवाद स्कूल के पाली कैनन में एक देवता के रूप में भी दिखाई देते हैं।
व्यापक पूजा:
- शाओलिन मठ
- तिब्बती बौद्ध धर्म
- शुद्ध भूमि बौद्ध धर्म (महास्थामप्राप्त के रूप में जाने जाते हैं और अमिताभ और अवलोकितेश्वर के साथ त्रिमूर्ति बनाते हैं)।
मंदिरों में उपस्थिति: चीन, ताइवान और जापान के कई बौद्ध मंदिरों में, वज्रपाणि को मठ और मंदिर के द्वारों की रक्षा करने वाले धर्म रक्षकों के रूप में देखा जा सकता है।
अचल के साथ संबंध: वज्रपाणि अचल से भी जुड़े हैं, जहाँ उन्हें वज्र धारण करने वाले के रूप में गाया जाता है।
संक्षेप में:
वज्रपाणि बुद्ध के एक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली रक्षक और मार्गदर्शक हैं जो बुद्ध की असीम शक्ति और सभी प्राणियों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।