
चार कुमार
Four Kumaras
(Four sages from the Puranic texts of Hinduism)
Summary
यह विकिपीडिया सामग्री खाली है, इसमें कोई जानकारी नहीं है।
लेकिन, मैं आपको "कुमार" के बारे में विस्तार से बता सकता हूँ:
कुमार:
हिन्दू पुराणों में वर्णित चार ऋषि हैं जिन्हें कुमार कहा जाता है। ये चारों ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं और सदा बाल रूप में ही रहते हैं। इनके नाम हैं:
- सनक
- सनन्दन
- सनातन
- सनत्कुमार
जन्म और ब्रह्मचर्य व्रत:
ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करने के लिए सबसे पहले अपने मन से इन चार कुमारों को उत्पन्न किया था। ब्रह्मा जी चाहते थे कि ये चारों पुत्र संसार में प्रवृत्ति का पालन करें और सृष्टि निर्माण में उनका साथ दें।
लेकिन, जन्म से ही ज्ञानवान होने के कारण, इन चारों कुमारों ने संसार में आसक्ति या मोह से दूर रहने का निश्चय किया और ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर लिया।
ज्ञान और भक्ति:
चारों कुमारों ने बचपन से ही वेदों का अध्ययन किया और सदा एक साथ ही विचरण करते रहे। ये चारों भगवान विष्णु के अनन्य भक्त भी माने जाते हैं। भागवत पुराण में इनका वर्णन बारह महाजनों में किया गया है। महाजन वे होते हैं जो जन्म से ही मुक्त आत्मा होते हैं, फिर भी भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं।
शिव और विष्णु परंपराओं में महत्व:
कुमारों का हिन्दू धर्म की कई आध्यात्मिक परंपराओं में महत्वपूर्ण स्थान है, खासकर विष्णु और उनके अवतार कृष्ण से जुड़े सम्प्रदायों में। कई बार शिव से जुड़ी परंपराओं में भी इनका उल्लेख मिलता है।
निष्कर्ष:
चारों कुमार ज्ञान, वैराग्य और भक्ति के प्रतीक हैं। ये हमें संसारिक मोह-माया से दूर रहकर, ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए, सदा ईश्वर भक्ति में लीन रहने की प्रेरणा देते हैं।