Persecution_of_Buddhists

बौद्धों का उत्पीड़न

Persecution of Buddhists

(Overview of hostility toward and/or discrimination against adherents of Buddhism)

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बौद्ध धर्म का उत्पीड़न

बहुत से बौद्ध अनुयायी अपने धार्मिक विश्वासों के कारण उत्पीड़न का शिकार हुए हैं। इसमें अनुचित गिरफ्तारी, कारावास, पिटाई, यातना और/या मृत्युदंड शामिल है। इस शब्द का प्रयोग संपत्ति, मंदिरों, मठों, शिक्षण केंद्रों, ध्यान केंद्रों, ऐतिहासिक स्थलों की जब्ती या विनाश, या बौद्धों के प्रति घृणा फैलाने के संदर्भ में भी किया जा सकता है।

विस्तृत विवरण (हिंदी में):

बौद्ध धर्म के इतिहास में कई बार बौद्धों को विभिन्न शासकों और समूहों द्वारा उत्पीड़ित किया गया है। यह उत्पीड़न कई रूपों में प्रकट हुआ है:

  • हिंसा: कई बौद्धों को उनके धर्म के कारण मारा गया, पीटा गया, और यातना दी गई है। यह हिंसा व्यक्तिगत स्तर पर भी हुई है और बड़े पैमाने पर नरसंहार के रूप में भी।

  • कानूनी उत्पीड़न: बौद्धों को अक्सर झूठे आरोपों में फंसाया गया है, उन्हें गिरफ्तार किया गया है और बिना किसी उचित कानूनी प्रक्रिया के कारावास में रखा गया है।

  • संपत्ति का विनाश: मंदिरों, मठों, और अन्य बौद्ध स्थलों को नष्ट कर दिया गया है, और बौद्धों की संपत्ति जब्त कर ली गई है। यह धार्मिक प्रतीकों और सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने का एक तरीका रहा है।

  • सामाजिक बहिष्कार: बौद्धों को समाज से बहिष्कृत किया गया है, उन्हें नौकरी पाने, शिक्षा प्राप्त करने और सामान्य जीवन जीने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।

  • धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन: बौद्धों को अपने धर्म का पालन करने से रोका गया है, उन्हें धार्मिक अनुष्ठान करने और अपने विश्वासों का खुलेआम अभ्यास करने की अनुमति नहीं दी गई है।

यह उत्पीड़न विभिन्न कारणों से हुआ है, जिसमें राजनीतिक कारण, सांस्कृतिक भेदभाव और धार्मिक कट्टरता शामिल हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम बौद्ध धर्म के उत्पीड़न के इतिहास को समझें और वर्तमान समय में भी बौद्धों के अधिकारों की रक्षा करें। धार्मिक स्वतंत्रता एक मौलिक मानवाधिकार है, और सभी को अपने धर्म का बिना किसी डर या उत्पीड़न के पालन करने का अधिकार है।


Many adherents of Buddhism have experienced religious persecution because of their adherence to the Buddhist practice, including unwarranted arrests, imprisonment, beating, torture, and/or execution. The term also may be used in reference to the confiscation or destruction of property, temples, monasteries, centers of learning, meditation centers, historical sites, or the incitement of hatred towards Buddhists.



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