Greco-Buddhist_art

ग्रीको-बौद्ध कला

Greco-Buddhist art

(Artistic syncretism between Classical Greece and Buddhist India)

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ग्रीको-बौद्ध कला: गंधार शैली का विस्तृत वर्णन

ग्रीको-बौद्ध कला या गंधार कला, ग्रीक और बौद्ध धर्म के सम्मिश्रण से उत्पन्न एक अनूठी कला शैली थी। यह कला भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर पश्चिमी सीमांत क्षेत्र, गंधार, में विकसित हुई।

गंधार कला का विकास:

  • सिकंदर महान: सिकंदर महान के भारत आक्रमण के साथ ही ग्रीक संस्कृति और कला का इस क्षेत्र में प्रवेश हुआ।
  • सम्राट अशोक: मौर्य सम्राट अशोक द्वारा गंधार क्षेत्र को बौद्ध धर्म में परिवर्तित करने से बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ।
  • इंडो-ग्रीक राज्य: इंडो-ग्रीक राज्यों में बौद्ध धर्म प्रमुख धर्म बन गया, जिससे ग्रीक और बौद्ध कला का मिश्रण शुरू हुआ।
  • कुषाण साम्राज्य: गंधार कला का उत्कर्ष कुषाण साम्राज्य (१ली-३री शताब्दी ईस्वी) के दौरान हुआ। इसी समय भगवान बुद्ध की पहली पूजा-प्रतिमाएं बनाई गईं।
  • ३री-५वीं शताब्दी ईस्वी: गंधार कला का स्वर्णिम युग, जब अधिकांश कलाकृतियाँ निर्मित हुईं।

गंधार कला की विशेषताएं:

  • बौद्ध विषय वस्तु: गंधार कला में बौद्ध धर्म के विषयों और कहानियों को दर्शाया गया है।
  • ग्रीको-रोमन प्रभाव: इन बौद्ध विषयों को ग्रीक और रोमन कला शैली में ढाला गया।
  • मानव रूप का आदर्शवादी चित्रण: ग्रीक कला की तरह, गंधार कला में भी मनुष्य के शरीर को सुंदर और आदर्श रूप में दिखाया गया।
  • बुद्ध की मानव प्रतिमा: गंधार कला ने बौद्ध कला में एक क्रांति ला दी, क्योंकि इसने पहली बार भगवान बुद्ध को मानव रूप में दर्शाया। इससे पहले बौद्ध कला में प्रतीकों के माध्यम से बुद्ध की उपस्थिति का एहसास कराया जाता था।

गंधार कला का प्रभाव:

  • भारत: गंधार कला का प्रभाव पूरे भारत में फैला, खासकर मूर्तिकला के क्षेत्र में।
  • पूर्वी एशिया: बौद्ध धर्म के साथ गंधार कला का प्रभाव पूर्वी एशिया तक पहुँचा, जहाँ इसका प्रभाव चीन, कोरिया और जापान जैसे देशों की कला में देखा जा सकता है।

निष्कर्षतः गंधार कला, ग्रीक और बौद्ध संस्कृतियों के सम्मिलन का एक अद्भुत उदाहरण है। इस कला ने बौद्ध कला के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसका प्रभाव सदियों तक एशिया के विभिन्न देशों में देखा गया।


The Greco-Buddhist art or Gandhara art is the artistic manifestation of Greco-Buddhism, a cultural syncretism between Ancient Greek art and Buddhism. It had mainly evolved in the ancient region of Gandhara, located in the northwestern fringe of the Indian subcontinent.



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