Dilwara_Temples

दिलवाड़ा मंदिर

Dilwara Temples

(Group of Svetambara Jain temples in Rajasthan, India)

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दिलवाड़ा मंदिर: सफेद संगमरमर की कला का अद्भुत नमूना

दिलवाड़ा मंदिर, जिन्हें डेलवाड़ा मंदिर भी कहा जाता है, राजस्थान के एकमात्र पहाड़ी स्टेशन, सिरोही जिले में माउंट आबू बस्ती से लगभग 2.5 किलोमीटर दूर स्थित श्वेतांबर जैन मंदिरों का एक समूह है। इनमें से सबसे पुराने मंदिरों का निर्माण भीम प्रथम ने करवाया था और माना जाता है कि इनका डिज़ाइन, या कम से कम वित्त पोषण, धोलका के जैन मंत्री वस्तुपाल ने किया था। ये मंदिर 11वीं से 16वीं शताब्दी के बीच बने हैं, और मारु-गुर्जरा वास्तुकला शैली के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में से हैं, जो अपने अत्यंत शुद्ध सफेद संगमरमर और जटिल संगमरमर नक्काशी के लिए प्रसिद्ध हैं।

इन मंदिरों का प्रबंधन सिरोही के सेठ श्री कल्याणजी आनंदजी पेढ़ी द्वारा किया जाता है और ये जैन धर्मावलंबियों के लिए एक तीर्थस्थल हैं, साथ ही एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल भी हैं। दिलवाड़ा मंदिरों को राजस्थान में जैन मंदिरों में सबसे प्रभावशाली माना जाता है।

दिलवाड़ा मंदिरों के बारे में कुछ और विस्तृत जानकारी:

  • स्थान: माउंट आबू, सिरोही जिला, राजस्थान।
  • निर्माण काल: 11वीं से 16वीं शताब्दी।
  • वास्तुकला: मारु-गुर्जरा वास्तुकला।
  • प्रमुख आकर्षण: अत्यंत शुद्ध सफेद संगमरमर और जटिल संगमरमर नक्काशी।
  • प्रमुख मंदिर:
    • विमल मंदिर (11वीं शताब्दी)
    • लूनाभेश्वर मंदिर (12वीं शताब्दी)
    • नेमीनाथ मंदिर (14वीं शताब्दी)
    • पार्श्वनाथ मंदिर (15वीं शताब्दी)
    • महावीर स्वामी मंदिर (16वीं शताब्दी)
  • प्रबंधन: सेठ श्री कल्याणजी आनंदजी पेढ़ी, सिरोही।
  • महत्व: जैन धर्मावलंबियों के लिए तीर्थस्थल, एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल।

दिलवाड़ा मंदिरों में देखने लायक चीजें:

  • संगमरमर नक्काशी: मंदिरों की दीवारें और स्तंभ जटिल संगमरमर नक्काशी से सजे हुए हैं, जिसमें देवताओं, देवियों, पशुओं, पौधों, और जैन धार्मिक कहानियों के दृश्य उकेरे गए हैं।
  • विमल मंदिर: यह मंदिर अपनी जटिल संगमरमर नक्काशी और ऊंची मेहराबों के लिए प्रसिद्ध है।
  • लूनाभेश्वर मंदिर: यह मंदिर अपने संगमरमर के स्तंभों और जटिल छत नक्काशी के लिए जाना जाता है।
  • नेमीनाथ मंदिर: यह मंदिर अपने सुंदर संगमरमर के फर्श और सफेद रंग के लिए प्रसिद्ध है।
  • पार्श्वनाथ मंदिर: यह मंदिर अपने संगमरमर के स्तंभों और छत नक्काशी के लिए जाना जाता है।
  • महावीर स्वामी मंदिर: यह मंदिर अपनी जटिल संगमरमर नक्काशी और सुंदर संगमरमर के फर्श के लिए प्रसिद्ध है।

दिलवाड़ा मंदिरों की यात्रा का अनुभव:

दिलवाड़ा मंदिरों की यात्रा एक अविस्मरणीय अनुभव है। मंदिरों की शांतिपूर्ण वातावरण, संगमरमर की चमक, और जटिल नक्काशी आपको मोहित कर देगी। यह जगह जैन धर्म के बारे में जानने और भारतीय वास्तुकला की कला का अनुभव करने के लिए एक शानदार जगह है।


The Dilwara Temples or Delvada Temples are a group of Śvētāmbara Jain temples located about 2+1⁄2 kilometres from the Mount Abu settlement in Sirohi District, Rajasthan's only hill station. The earliest were built by Bhima I and supposedly designed or at least financed by Vastupala, Jain minister of Dholka. They date between the 11th and 16th centuries, forming some of the most famous monuments in the style of Māru-Gurjara architecture, famous for their use of a very pure white marble and intricate marble carvings. They are managed by Seth Shri Kalyanji Anandji Pedhi, Sirohi and are a pilgrimage place for Jains, and a significant general tourist attraction. The Dilwara temples are regarded as the most impressive among Jain temples in Rajasthan.



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