
नचिकेता
Nachiketa
(Character in Hindu literature)
Summary
नाचिकेता: आत्मा की खोज का प्रतीक
नाचिकेता (संस्कृत: नाचिकेत, रोमनकृत: Nāciketa), जिन्हें नाचिकेतस और नाचिकेतन भी कहा जाता है, हिंदू साहित्य में एक महत्वपूर्ण पात्र हैं। वे ऋषि वाजश्रवस या कुछ परंपराओं में उद्दालकी के पुत्र हैं। वे प्राचीन भारतीय संवादात्मक कथा "कठोपनिषद" के नायक हैं, जो आत्मा की प्रकृति के बारे में है।
नाचिकेता की कहानी कठोपनिषद में वर्णित है, हालांकि उनका नाम इससे पहले भी कई बार आता है। उन्होंने यम, मृत्यु के देवता, से आत्मज्ञान, आत्मा (आत्मा) और ब्रह्म (परम वास्तविकता) के बारे में ज्ञान प्राप्त किया। नाचिकेता को उनका भौतिक इच्छाओं का त्याग, जो क्षणिक हैं, और आत्म-साक्षात्कार मोक्ष के मार्ग की खोज के लिए प्रसिद्ध है।
नाचिकेता की कहानी इस प्रकार है:
- वाजश्रवस ने यम को तीन गायें दान में दी थीं। एक गाय बीमार थी, और नाचिकेता ने यम से पूछा कि इनमें से किस गाय को दान में दिया जाए। वाजश्रवस ने गुस्से में कहा कि सबसे बुरी गाय यम को दी जाए।
- यम ने नाचिकेता को स्वीकार किया, लेकिन नाचिकेता ने कहा कि जब तक यम उन्हें ज्ञान नहीं देते तब तक वह वहां से नहीं जाएंगे।
- यम ने नाचिकेता को तीन वरदान दिए। पहले दो वरदानों में नाचिकेता ने अपने पिता को वापस लाने और अपने ज्ञान को वापस पाने का अनुरोध किया, लेकिन यम ने उन्हें मना कर दिया।
- तीसरे वरदान में, नाचिकेता ने यम से "मृत्यु के बाद क्या होता है" के बारे में पूछा। यम ने नाचिकेता को आत्मा और ब्रह्म के बारे में ज्ञान दिया।
- नाचिकेता ने यम से आत्मा की अमरता और ब्रह्म की सर्वव्यापीता के बारे में सीखा। उन्होंने यह भी सीखा कि भौतिक इच्छाओं से मुक्ति ही मोक्ष का मार्ग है।
नाचिकेता की कहानी ज्ञान और आत्म-साक्षात्कार की तलाश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है। यह हमें सिखाती है कि भौतिक सुखों से ऊपर उठना और आध्यात्मिक विकास का मार्ग अपनाना ही जीवन का अंतिम लक्ष्य है।