
जैन अनुष्ठान
Jain rituals
(Rituals and festivals in Jainism)
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जैन धर्म में रीति-रिवाज
जैन धर्म में रीति-रिवाजों का बहुत महत्व है और ये रोज़ाना के जीवन का हिस्सा हैं। कुछ रीति-रिवाज रोज़ाना या उससे भी ज़्यादा बार किए जाते हैं। इनमें जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा किए जाने वाले कर्तव्यों के साथ-साथ मूर्ति पूजा के विभिन्न रूप भी शामिल हैं।
जैन रीति-रिवाजों को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:
1. करण (Karyn):
करण वे कर्तव्य हैं जिनका पालन जैन धर्म के अनुयायी करते हैं। इनमें शामिल हैं:
- अहिंसा (Ahimsa): सभी जीवों के प्रति अहिंसा का पालन करना।
- सत्य (Satya): सच बोलना।
- अस्तेय (Asteya): चोरी न करना।
- ब्रह्मचर्य (Brahmacharya): कामवासना का त्याग करना।
- अपरिग्रह (Aparigraha): लालच और संपत्ति के प्रति मोह का त्याग करना।
2. क्रिया (Kriya):
क्रिया वे पूजा-पाठ और अनुष्ठान हैं जो जैन धर्म के अनुयायी करते हैं। इनमें शामिल हैं:
- मूर्ति पूजा (Idol worship): जैन मंदिरों में तीर्थंकरों की मूर्तियों की पूजा करना।
- जप (Jaap): भगवान के नाम का जाप करना।
- ध्यान (Dhyaan): ध्यान करना।
- प्रार्थना (Prarthana): भगवान से प्रार्थना करना।
- पारणा (Parana): व्रत खोलना।
- चातुर्मास (Chaturmas): चार महीनों का व्रत।
- पर्व (Festivals): जैन धर्म के विभिन्न त्यौहारों का उत्सव मनाना।
अन्य महत्वपूर्ण रीति-रिवाज:
- साधु-साध्वी (Sadhu-Sadhvi): जैन धर्म के साधु और साध्वी।
- व्रत (Vrat): विभिन्न प्रकार के व्रत रखना।
- ज्ञान (Gyan): जैन धर्म के ग्रंथों का अध्ययन करना।
- अनुशासन (Anushasan): जैन धर्म के नियमों का पालन करना।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि जैन धर्म में रीति-रिवाजों का लक्ष्य केवल बाहरी अनुष्ठानों का पालन करना नहीं है, बल्कि अंतर्मन की शुद्धि और मोक्ष प्राप्त करना है।
Jain rituals play an everyday part in Jainism. Rituals take place daily or more often. Rituals include obligations followed by Jains and various forms of idol worship.