
मल्लिनाथ
Mallinatha
(19th tirthankara in Jainism)
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मल्लिनाथ - जैन धर्म के 19वें तीर्थंकर
मल्लिनाथ, जिन्हें प्रकृत में मल्लिनाथ (Mallinātha) कहा जाता है, जैन धर्म के वर्तमान अवसर्पिणी युग के 19वें तीर्थंकर थे। "तीर्थंकर" शब्द का अर्थ है "पार लगाने वाला" या "पथ प्रदर्शक", और वे जैन धर्म के प्रमुख प्राचीन प्रशिक्षक थे।
मल्लिनाथ नाम का अर्थ है "चमेली का स्वामी" या "सिंहासन का स्वामी"।
मल्लिनाथ के जन्म के बारे में कई किंवदंतियाँ हैं।
- एक किंवदंती के अनुसार, वे कुरु वंश के राजकुमार त्रिशला और राजा विशाल के पुत्र थे।
- उनका जन्म वैशाख महीने की 13वीं तिथि को, वर्ष 217,000 बीसी में विदिशा (मध्य प्रदेश, भारत) में हुआ था।
- यह भी कहा जाता है कि वे एक गृहस्थ जीवन जीते थे, लेकिन ज्ञान प्राप्त करने के लिए गृहस्थ जीवन त्याग कर अहिंसा का मार्ग अपना लिया।
मल्लिनाथ के जीवन और उपदेश जैन धर्म के ग्रंथों, विशेष रूप से "कल्प सूत्र" और "कालिका सूत्र" में दर्ज हैं।
उनके अनुयायी उनके उपदेशों का पालन करते हैं और उन्हें अपने आध्यात्मिक गुरु मानते हैं।
संक्षेप में:
- मल्लिनाथ जैन धर्म के 19वें तीर्थंकर थे।
- उनका जन्म वैशाख महीने की 13वीं तिथि को, वर्ष 217,000 बीसी में विदिशा में हुआ था।
- वे एक गृहस्थ जीवन जीते थे, लेकिन ज्ञान प्राप्त करने के लिए उन्होंने गृहस्थ जीवन त्याग कर अहिंसा का मार्ग अपना लिया।
- उनके जीवन और उपदेश जैन धर्म के ग्रंथों में दर्ज हैं।
- उनके अनुयायी उनके उपदेशों का पालन करते हैं और उन्हें अपने आध्यात्मिक गुरु मानते हैं।
Mallinatha was the 19th tīrthaṅkara "ford-maker" of the present avasarpiṇī age in Jainism.