
दुलीप सिंह
Duleep Singh
(Maharaja of the Sikh Empire)
Summary
महाराजा सर दलीप सिंह: एक दुखद कहानी
महाराजा सर दलीप सिंह, जिन्हें "पर्थशायर के काले राजकुमार" के नाम से भी जाना जाता था, सिख साम्राज्य के अंतिम महाराजा थे। उनका जन्म 6 सितंबर, 1838 को हुआ था और 22 अक्टूबर, 1893 को उनका निधन हुआ। वे महाराजा रणजीत सिंह के सबसे छोटे बेटे और महारानी जिंद कौर के एकमात्र बच्चे थे।
जब दलीप सिंह महज पाँच साल के थे, सितंबर 1843 में उन्हें सत्ता सौंप दी गई। उनकी मां, महारानी जिंद कौर ने उनके लिए शासन किया। हालांकि, अंग्रेजों के साथ हुए युद्ध में सिखों की हार के बाद, दलीप सिंह पर अंग्रेज रेजिडेंट का नियंत्रण हो गया। अंततः, उन्हें अंग्रेजों द्वारा पदच्युत कर दिया गया और 15 साल की उम्र में उन्हें ब्रिटेन निर्वासित कर दिया गया।
ब्रिटेन में, दलीप सिंह की मुलाक़ात रानी विक्टोरिया से हुई, जो उनके दोस्त बन गईं। रानी विक्टोरिया ने दलीप सिंह के बारे में लिखा था: "उनकी आंखें और दांत बहुत खूबसूरत हैं"। रानी विक्टोरिया दलीप सिंह के कई बच्चों की गॉड मदर भी थीं।
दलीप सिंह की मां से उनका पुनर्मिलन 16 जनवरी, 1861 को कलकत्ता में हुआ। अपनी मां के साथ, वह ब्रिटेन वापस लौट आए। अपनी मृत्यु से पहले के दो वर्षों में, उनकी मां ने उन्हें सिख विरासत और उनके साम्राज्य के बारे में बताया, जिसे उन्होंने एक बार शासन किया था। जून, 1861 में, वह स्टार ऑफ़ इंडिया के ऑर्डर में पहले 25 नाइट्स में से एक थे।
दलीप सिंह का 55 साल की उम्र में निधन हो गया। अपने जीवन के अंतिम वर्षों में, वे ज्यादातर ब्रिटेन में ही रहे।
यह कहानी दर्शाती है कि कैसे एक छोटे बच्चे को उसके साम्राज्य से छीन लिया गया और एक दूसरे देश में निर्वासित कर दिया गया। दलीप सिंह के जीवन में दुख और निराशा थी, क्योंकि वह अपनी विरासत और अपने साम्राज्य को खो चुके थे।