
सुभूति
Subhūti
(One of the ten principal disciples of the Buddha)
Summary
सुभूति: बुद्ध के प्रमुख शिष्य
सुभूति भगवान बुद्ध के दस प्रमुख शिष्यों में से एक थे। थेरवाद बौद्ध धर्म में उन्हें "दान के योग्य" (पाली: दक्खिणेय्याणं) और "एकांत और शांति में रहने वाले" (पाली: अरणविहारीनं अग्गो) होने में सबसे आगे माना जाता है। महायान बौद्ध धर्म में, उन्हें शून्यता (संस्कृत: शून्यता) को समझने में सबसे आगे माना जाता है।
प्रारंभिक जीवन और दीक्षा:
सुभूति का जन्म एक धनी परिवार में हुआ था और वे बुद्ध के प्रमुख संरक्षक अनाथपिंडिक के रिश्तेदार थे। उन्होंने जेतावन विहार के उद्घाटन समारोह में बुद्ध को धर्मोपदेश देते हुए सुना और प्रभावित होकर भिक्षु बन गए।
साधना और सिद्धि:
उन्होंने प्रेम ध्यान (पाली: मेट्टा) पर ध्यान केंद्रित करते हुए जंगल में जाकर कठोर तपस्या की और अंततः अर्हतत्व (पूर्ण ज्ञान) प्राप्त किया।
विशिष्टता:
दान के योग्य: ऐसा कहा जाता है कि प्रेम ध्यान में उनकी सिद्धि के कारण, उन्हें दी गई कोई भी भेंट दानकर्ता के लिए सबसे बड़ा पुण्य लेकर आती थी, इस प्रकार उन्हें "दान के योग्य" होने का खिताब मिला।
महायान परंपरा में महत्व: सुभूति महायान बौद्ध धर्म में एक प्रमुख व्यक्ति हैं और प्रज्ञापारमिता सूत्रों में केंद्रीय पात्रों में से एक हैं।
संक्षेप में: सुभूति बुद्ध के एक अत्यधिक सम्मानित शिष्य थे जो अपनी विनम्रता, ध्यान की गहराई और शून्यता की समझ के लिए जाने जाते थे।