Sankriti

संकृति

Sankriti

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ऋषि सङ्कृति: एक विस्तृत विवरण (हिंदी में)

ऋषि सङ्कृति वैदिक समाज के दस प्रमुख गोत्रों में से एक, सङ्कृति गोत्र के प्रवर्तक ऋषि थे। सङ्कृति वंश को शक्त्य, सङ्कृत्य और गौरिवित के नाम से जाना जाता है, अर्थात् शक्ति, सङ्कृति और गौरिवित का वंश।

सङ्कृति महर्षि वशिष्ठ के पौत्र और शक्ति महर्षि के पुत्र थे। संयोग से, शक्ति महर्षि, ऋषि पराशर (ऋषि व्यास के पिता) के भी पिता थे।

ऋषि सङ्कृति के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, सिवाय इसके कि उनका नाम अवधूत उपनिषद में दर्ज है। इस उपनिषद में भगवान दत्तात्रेय ऋषि सङ्कृति को अवधूत की प्रकृति के बारे में समझाते हैं।

गोत्र "सांकृत" या "संकृत्य" ऋषि सङ्कृति से ही उत्पन्न हुआ है।

कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:

  • सङ्कृति: एक वैदिक ऋषि और सङ्कृति गोत्र के प्रवर्तक।
  • वंशावली: वशिष्ठ (दादा) -> शक्ति (पिता) -> सङ्कृति।
  • उल्लेख: अवधूत उपनिषद।
  • महत्व: वैदिक समाज के दस प्रमुख गोत्रों में से एक के संस्थापक।

ध्यान दें: यह जानकारी विकिपीडिया पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर संकलित की गई है। ऋषि सङ्कृति के जीवन और कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दुर्लभ हो सकती है।


The sage Sankriti is the founding rishi of the Sankriti Gotra, one of the 10 lineages in Vedic society. The lineage of Sankriti's is given as Shaktya, Sankritya, and Gaurivita. i.e. lineage of Shakti, Sankriti, and Gauriviti.



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