Fetter_(Buddhism)

फ़ेटर (बौद्ध धर्म)

Fetter (Buddhism)

(Concept in Buddhism)

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बौद्ध धर्म में बंधन: संयोजन

बौद्ध धर्म में, "संयोजन" का अर्थ मानसिक बंधन, बेड़ियाँ या जंजीरें हैं जो एक प्राणी को संसार से बांध कर रखती हैं। संसार, दुःखों से भरे जन्म और मृत्यु के चक्र को दर्शाता है।

ये बंधन हमें बार-बार जन्म लेने, दुःख भोगने और मृत्यु के चक्र में फंसाए रखते हैं। बौद्ध धर्म का उद्देश्य इन बंधनों से मुक्ति पाना है, जिससे हम निर्वाण की प्राप्ति कर सकें।

निर्वाण, दुःखों के चक्र से पूर्ण मुक्ति की अवस्था है। यह एक शांत, स्थायी और आनंदमयी स्थिति है जो सभी बंधनों को तोड़ने पर प्राप्त होती है।

संयोजन, कई प्रकार के होते हैं, जिन्हें तीन समूहों में बाँटा गया है:

  • निचले स्तर के बंधन: ये बंधन हमें संसार के प्रति आसक्त करते हैं और दुःखों का मुख्य कारण बनते हैं।
  • मध्यम स्तर के बंधन: ये बंधन हमें अज्ञानता और भ्रम में फंसाए रखते हैं।
  • उच्च स्तर के बंधन: ये बंधन सूक्ष्म होते हैं और निर्वाण प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करते हैं।

बौद्ध धर्म का अभ्यास, इन बंधनों को पहचानने और उनसे मुक्त होने पर केंद्रित है। ध्यान, सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, और शील जैसे साधनों द्वारा हम इन बंधनों को तोड़कर निर्वाण की ओर अग्रसर हो सकते हैं।


In Buddhism, a mental fetter, chain or bond shackles a sentient being to saṃsāra, the cycle of lives with dukkha. By cutting through all fetters, one attains nibbāna.



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