Buddhist_councils

बौद्ध परिषदें

Buddhist councils

(Conventions of Buddhist monastic leaders)

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बौद्ध धर्म में संगीतियाँ: सिद्धांतों और अनुशासन का पुनरावलोकन

गौतम बुद्ध, जिन्हें ऐतिहासिक बुद्ध के रूप में जाना जाता है, के महापरिनिर्वाण के बाद से ही, बौद्ध भिक्षुओं के समुदाय ("संघ") समय-समय पर सिद्धांतों और अनुशासन से संबंधित विवादों को सुलझाने और बौद्ध धर्मग्रंथों की सामग्री को संशोधित और सही करने के लिए एकत्रित होते रहे हैं। इन सभाओं को अक्सर बौद्ध "संगीति" (पाली और संस्कृत: संगीति, जिसका शाब्दिक अर्थ है "एक साथ पाठ करना" या "संयुक्त पूर्वाभ्यास") कहा जाता है।

बौद्ध ग्रंथों में इन संगीतियों का वर्णन बुद्ध की मृत्यु के तुरंत बाद से शुरू होने और आधुनिक युग तक जारी रहने के रूप में किया गया है। प्रारंभिक संगीतियों को हर बौद्ध परंपरा द्वारा वास्तविक घटनाओं के रूप में माना जाता है।

हालांकि, आधुनिक बौद्ध अध्ययनों में इन संगीतियों की ऐतिहासिकता और विवरण विवाद का विषय बने हुए हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि विभिन्न बौद्ध संप्रदायों से संबंधित विभिन्न स्रोतों में इन घटनाओं के परस्पर विरोधी विवरण हैं और वृत्तांत अक्सर विशिष्ट संप्रदायों के अधिकार और प्रतिष्ठा को मजबूत करने का काम करते हैं।

आइए इस जानकारी को थोड़ा और विस्तार से समझते हैं:

संगीतियाँ क्यों महत्वपूर्ण थीं?

  • सिद्धांतों की शुद्धता: बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद, उनके उपदेशों की व्याख्या और समझ को लेकर मतभेद पैदा होने लगे। संगीतियाँ इन मतभेदों को दूर करने और बुद्ध के मूल उपदेशों की शुद्धता को बनाए रखने के लिए आयोजित की जाती थीं।
  • अनुशासन का पालन: बौद्ध संघ के भिक्षुओं और भिक्षुणियों के लिए सख्त नियम और अनुशासन थे। संगीतियाँ इन नियमों की समीक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए आयोजित की जाती थीं कि उनका पालन सही ढंग से हो रहा है।
  • धर्मग्रंथों का संकलन: प्रारंभ में बुद्ध के उपदेश मौखिक रूप से संरक्षित थे। संगीतियों में इन उपदेशों को लिपिबद्ध किया गया और त्रिपिटक जैसे धर्मग्रंथों का संकलन किया गया।

संगीतियों से जुड़ी चुनौतियाँ:

  • ऐतिहासिक स्रोतों की कमी: शुरुआती संगीतियों के बारे में जानकारी मुख्य रूप से बौद्ध ग्रंथों से मिलती है, जो सदियों बाद लिखे गए थे। स्वतंत्र ऐतिहासिक स्रोतों की कमी के कारण इन विवरणों की पुष्टि करना मुश्किल है।
  • पक्षगत दृष्टिकोण: विभिन्न बौद्ध संप्रदायों ने अपने-अपने दृष्टिकोण से संगीतियों का वर्णन किया है। इससे यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि वास्तव में क्या हुआ था।

निष्कर्ष:

संगीतियाँ बौद्ध धर्म के इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाएँ थीं। उन्होंने बुद्ध के उपदेशों की शुद्धता को बनाए रखने, अनुशासन को मजबूत करने और धर्मग्रंथों के संकलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालाँकि, इन घटनाओं के बारे में जानकारी सीमित और कभी-कभी विरोधाभासी होती है।


Since the death of the historical Buddha, Siddhartha Gautama, Buddhist monastic communities ("sangha") have periodically convened to settle doctrinal and disciplinary disputes and to revise and correct the contents of the Buddhist canons. These gatherings are often termed Buddhist "councils". Accounts of these councils are recorded in Buddhist texts as having begun immediately following the death of the Buddha and have continued into the modern era. The earliest councils are regarded as real events by every Buddhist tradition. However, the historicity and details of these councils remains a matter of dispute in modern Buddhist studies. This is because various sources belonging to different Buddhist schools contain conflicting accounts of these events and the narratives often serve to bolster the authority and prestige of specific schools.



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