
नानक शाही ईंटें
Nanak Shahi bricks
()
Summary
Info
Image
Detail
Summary
नानकशाही ईंटें: इतिहास और महत्व
नानकशाही ईंटें, जिन्हें लखूरी ईंटें भी कहा जाता है, मुगल काल के दौरान सजावटी ईंटें थीं जो दीवारों के निर्माण के लिए इस्तेमाल होती थीं। ये ईंटें ऐतिहासिक सिख वास्तुकला, जैसे स्वर्ण मंदिर परिसर में प्रयोग की गई थीं। ब्रिटिश उपनिवेशवादियों ने भी पंजाब में इन ईंटों का उपयोग किया था।
नानकशाही ईंटों की विशिष्टताएँ:
- नामकरण: इन ईंटों का नाम गुरु नानक देव जी के शासनकाल से जुड़ा हुआ है, जो सिख धर्म के संस्थापक थे।
- सजावटी रूप: ये ईंटें सादा या सजावटी दोनों तरह से बनाई जाती थीं। इनमें विभिन्न आकार, आकृति और रंग होते थे।
- उपयोग: नानकशाही ईंटें दीवारों, फर्श, छतों और अन्य सजावटी तत्वों के निर्माण के लिए इस्तेमाल की जाती थीं।
- निर्माण: इन ईंटों को मिट्टी, रेत और पानी से बनाया जाता था, जिन्हें सूर्य में सुखाया जाता था और फिर भट्ठों में पकाया जाता था।
- मजबूती: इन ईंटों को अपनी मजबूती के लिए जाना जाता था। वे सैकड़ों वर्षों तक चल सकती थीं।
नानकशाही ईंटों का महत्व:
- सिख वास्तुकला: ये ईंटें सिख वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे सिख धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थलों जैसे स्वर्ण मंदिर, हरिमंदिर साहिब और कई गुरुद्वारों में इस्तेमाल की गई हैं।
- इतिहास और संस्कृति: नानकशाही ईंटें पंजाब की समृद्ध संस्कृति और इतिहास का प्रतीक हैं। वे मुगल युग की कला और स्थापत्य कौशल का प्रमाण हैं।
- ऐतिहासिक संरक्षण: नानकशाही ईंटें पंजाब के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारकों और इमारतों का संरक्षण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
निष्कर्ष:
नानकशाही ईंटें पंजाब की कला, संस्कृति और इतिहास का एक अद्भुत उदाहरण हैं। वे सिख धर्म के धार्मिक स्थलों और पंजाब की समृद्ध वास्तुकला का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। इन ईंटों का संरक्षण करना पंजाब की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
Nanakshahi bricks, also known as Lakhuri bricks, were decorative bricks used for structural walls during the Mughal era. They were employed for constructing historical Sikh architecture, such as at the Golden Temple complex. The British colonists also made use of the bricks in Punjab.