Sarva_Dharma_Sama_Bhava

सर्व धर्म सम भाव

Sarva Dharma Sama Bhava

(Hindu concept)

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सर्व धर्म समभाव: एक विस्तृत व्याख्या

मूल अर्थ: "सर्व धर्म समभाव" का शाब्दिक अर्थ है "सभी धर्म / आस्थाएँ संभव हैं"।

महात्मा गांधी का योगदान: यह वाक्यांश महात्मा गांधी द्वारा प्रचलित किया गया था। सितंबर 1930 में, उन्होंने अपने अनुयायियों को संदेश देते हुए, हिंदुओं और मुसलमानों के बीच बढ़ती दरार को खत्म करने के लिए इस वाक्यांश का प्रयोग किया। गांधीजी का मानना ​​था कि सभी धर्मों का लक्ष्य एक ही है, भले ही उनके मार्ग अलग-अलग हों।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका: यह अवधारणा गांधीजी के उस आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसने विभिन्न जातियों और समुदायों के लोगों को एक विशाल उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन में एकजुट किया।

भारतीय धर्मनिरपेक्षता का आधार: "सर्व धर्म समभाव" भारत में धर्मनिरपेक्षता के प्रमुख सिद्धांतों में से एक है। यहाँ धर्मनिरपेक्षता का अर्थ धर्म और राज्य को अलग करना नहीं है, बल्कि राज्य द्वारा सभी धर्मों को समान रूप से स्वीकार करना है। अमर्त्य सेन के अनुसार, भारत का बहुलवाद हमेशा से ही राज्य का सिद्धांत रहा है जो धर्मनिरपेक्षता की नीति के माध्यम से प्रकट होता है और यह उपनिषदों के "सर्व धर्म समभाव" के विचार पर आधारित है।

अनुवाद की जटिलता: "सर्व धर्म समभाव" का अंग्रेजी में अनुवाद "All religions are the same" या "All path's lead to the same destination" के रूप में किया जाता है, जो पूरी तरह सटीक नहीं है। यह वाक्यांश यह नहीं कहता कि सभी धर्म एक समान हैं, बल्कि यह दर्शाता है कि सभी धर्मों का सम्मान करना और उन्हें स्वीकार करना महत्वपूर्ण है।

संक्षेप में: "सर्व धर्म समभाव" एकता, सहिष्णुता और धार्मिक स्वतंत्रता का सार है। यह एक ऐसा विचार है जो आज भी प्रासंगिक है और हमें एक दूसरे के प्रति सम्मान और समझ के साथ जीने के लिए प्रेरित करता है।


Sarva Dharma Sama Bhava is a concept coined by Mahatma Gandhi that embodies the equality of the destination of the paths followed by all religions.



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