
पाकिस्तान में बौद्ध धर्म
Buddhism in Pakistan
(Overview of the historical role and impact of Buddhism in Pakistan)
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पाकिस्तान में बौद्ध धर्म (Buddhism in Pakistan) - सरल हिंदी में
आरंभिक जड़ें:
- तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व: मौर्य सम्राट अशोक के शासनकाल में बौद्ध धर्म ने पाकिस्तान (तब भारत का हिस्सा) में जड़ें जमाईं।
- अशोक के शिलालेख: मानसेहरा और शाहबाज गढ़ी में खरोष्ठी लिपि में लिखे अशोक के शिलालेख, सम्राट के "धम्म" यानी धार्मिक कानून को दर्शाते हैं। ये दक्षिण एशिया में सबसे पहले की लिखित सामग्री में से हैं।
- मिलिंद पन्हो: इंडो-ग्रीक राजा मिनांडर ने बौद्ध धर्म अपनाया, जिसका उल्लेख "मिलिंद पन्हो" नामक ग्रंथ में मिलता है। यह ग्रंथ मिनांडर और भिक्षु नागसेन के बीच हुए संवाद पर आधारित है, जो पहली शताब्दी ईसा पूर्व और दूसरी शताब्दी ईस्वी के बीच स्यालकोट (तत्कालीन सागला) में हुआ था।
विकास और उत्कर्ष:
- गंधार क्षेत्र: माना जाता है कि महायान बौद्ध धर्म, जो आज बौद्ध धर्म की प्रमुख शाखाओं में से एक है, की उत्पत्ति गंधार क्षेत्र में हुई थी।
- ग्रीको-बौद्ध कला: गंधार क्षेत्र में ग्रीको-बौद्ध कला और मूर्तिकला का विकास हुआ।
- छठी शताब्दी तक उत्कर्ष: छठी शताब्दी तक बौद्ध धर्म का विकास होता रहा।
पतन:
- ** हूण आक्रमण:** छठी शताब्दी में हूणों के आक्रमण के बाद बौद्ध धर्म का पतन शुरू हुआ।
- मुस्लिम विजय: 14 वीं शताब्दी के अंत तक, भारतीय उपमहाद्वीप में मुस्लिम विजयों के बाद बौद्ध धर्म लगभग समाप्त हो गया।
वर्तमान स्थिति:
- बहुत ही कम संख्या: 2012 के आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान में बौद्ध आबादी बहुत कम है। राष्ट्रीय पहचान पत्र धारक वयस्क बौद्धों की संख्या केवल 1,492 थी।
- 2017 के आंकड़े: 2017 में, बौद्ध मतदाताओं की संख्या 1,884 बताई गई थी, जो ज्यादातर सिंध और पंजाब में केंद्रित थे।
- एकमात्र सक्रिय मंदिर: पाकिस्तान में एकमात्र सक्रिय बौद्ध मंदिर इस्लामाबाद के राजनयिक क्षेत्र में स्थित है, जिसका उपयोग श्रीलंका जैसे देशों के बौद्ध राजनयिक करते हैं।
- फो गुआंग शान: 2023 में, पाकिस्तानी सरकार ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संगठन "फो गुआंग शान" को स्थानीय बौद्ध आबादी को फिर से जोड़ने के लिए आमंत्रित किया है। यह संगठन स्थानीय भाषा में कार्यक्रम आयोजित करके, प्रार्थना करवाकर और बुद्ध की स्तुति में भजन गवाकर ऐसा कर रहा है।
संक्षेप में: पाकिस्तान में बौद्ध धर्म का एक समृद्ध इतिहास रहा है, लेकिन वर्तमान में यह धर्म वहां बहुत कम लोगों द्वारा अपनाया जाता है।
Buddhism in Pakistan took root in the third century BCE under the Mauryan king Ashoka. The Major Rock Edicts of Ashoka inscribed on rock boulders in Mansehra and Shahbaz Garhi written in the Kharosthi script recording aspects of the emperor's dharma or righteous law represent some of the earliest evidence of deciphered writing in South Asia, dating to middle of the third century BCE. The Indo-Greek king Menander embraced Buddhism as attested in the Milinda Panha, which dates from sometime between 100 BC and 200 AD, following a dialogue with the monk Nāgasena in Sagala, present-day Sialkot.