
पञ्च-परमेष्ठी
Pañca-Parameṣṭhi
(Fivefold hierarchy of religious authorities in Jainism)
Summary
जैन धर्म में पंच परमेष्ठी: पांच सर्वोच्च प्राधिकार
जैन धर्म में "पंच परमेष्ठी" (Sanskrit: पञ्चपरमेष्ठी, lit. 'five supreme beings') एक पांच-स्तरीय पदानुक्रम है जो धार्मिक अधिकारियों को दर्शाता है जिन्हें पूजनीय माना जाता है।
यह पदानुक्रम निम्न प्रकार है:
तीर्थंकर: तीर्थंकर जैन धर्म के संस्थापक और सर्वोच्च प्राधिकार होते हैं। वे पूर्ण ज्ञानी और मुक्त आत्माएं होती हैं जिन्होंने अपनी सभी इच्छाओं और बंधनों को खत्म कर दिया है। तीर्थंकर मानवता को ज्ञान और मोक्ष का मार्ग दिखाते हैं।
चक्रवर्ती: चक्रवर्ती धर्मनिष्ठ राजा होते हैं जो अपनी न्यायपूर्ण शासन व्यवस्था और धर्म के प्रचार के लिए जाने जाते हैं। वे सभी जीवों के कल्याण के लिए काम करते हैं और अपने राज्य को शांति और समृद्धि से भर देते हैं।
बलदेव: बलदेव चक्रवर्ती राजाओं के साथी होते हैं और उनकी सहायता करते हैं। वे शक्ति और साहस के प्रतीक हैं और धर्म के रक्षक के रूप में कार्य करते हैं।
वैमानिक: वैमानिक वे लोग होते हैं जिन्होंने अपने पुण्य कर्मों से स्वर्ग प्राप्त किया है। वे अपने स्वर्गलोक से संसार को शिक्षा देते हैं और धर्म का प्रचार करते हैं।
सिद्ध: सिद्ध वे आत्माएं होती हैं जो पूर्ण मुक्ति प्राप्त कर चुकी हैं। वे सभी बंधनों से मुक्त हैं और सांसारिक चक्र से परे हैं। सिद्धों को पूजनीय माना जाता है क्योंकि वे पूर्ण ज्ञान और मोक्ष का साक्षात्कार कर चुके हैं।
इन पांच श्रेणियों के अलावा, जैन धर्म में कई अन्य संत, मुनि, और आचार्य होते हैं जिन्हें भी पूजनीय माना जाता है। इन सभी का उद्देश्य मानवता को ज्ञान और मोक्ष का मार्ग दिखाना है और उन्हें धर्म के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करना है।