Battle_of_Jamrud

जमरूद की लड़ाई

Battle of Jamrud

(1837 battle of the Afghan–Sikh Wars)

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जमरुद की लड़ाई: दोस्त मोहम्मद खान और महाराजा रणजीत सिंह का संघर्ष

30 अप्रैल 1837 को, अफगानिस्तान के अमीर दोस्त मोहम्मद खान की सेना और महाराजा रणजीत सिंह के सिख साम्राज्य की सेना के बीच जमरुद में एक भयंकर लड़ाई हुई।

लड़ाई का कारण:

  • जमरुद, खैबर दर्रे के पास एक महत्वपूर्ण किला था, जो अफगानिस्तान और भारत के बीच प्रवेश द्वार के रूप में काम करता था।
  • दोस्त मोहम्मद खान, सिखों के प्रभाव को कम करना और खैबर दर्रे पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहते थे।
  • महाराजा रणजीत सिंह, इस किले को अपने साम्राज्य की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानते थे और अफगानों के हमले का विरोध करने के लिए दृढ़ थे।

लड़ाई का विवरण:

  • दोस्त मोहम्मद खान की सेना ने जमरुद किले पर हमला किया, जहाँ सिख सेना तैनात थी।
  • सिख सैनिकों ने अफगानों का डटकर सामना किया और उनका कड़ा विरोध किया।
  • जमरुद में तैनात सिख सैनिकों को अफगानों के हमले का सामना करने में मुश्किल हो रही थी।
  • सिखों की सहायता के लिए महाराजा रणजीत सिंह ने तुरंत सैनिकों को जमरुद भेजा।
  • सिखों के अतिरिक्त सैनिकों के आने पर अफगानों का हौसला टूट गया और वे पीछे हट गए।

लड़ाई के परिणाम:

  • सिखों ने जमरुद की लड़ाई में जीत हासिल की और अफगानों को पीछे खदेड़ दिया।
  • यह लड़ाई सिख साम्राज्य की सैन्य शक्ति का प्रमाण थी।
  • जमरुद की लड़ाई ने दोस्त मोहम्मद खान की सत्ता को कमजोर कर दिया और सिख साम्राज्य के नियंत्रण को मजबूत किया।

निष्कर्ष:

जमरुद की लड़ाई सिख साम्राज्य और अफगानिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण लड़ाई थी। यह सिखों की शक्ति का प्रतीक थी और अफगानों के प्रभुत्व को कमजोर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


The Battle of Jamrud was fought between the Emirate of Afghanistan under Emir Dost Mohammad Khan and the Sikh Empire under Maharaja Ranjit Singh on 30 April 1837. Afghan forces confronted the Sikh forces at Jamrud. The garrisoned army was able to hold off the Afghans till Sikh reinforcements arrived to relieve them.



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