भारत का वन्यजीवन
Wildlife of India
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Summary
भारत की जैव विविधता: एक विस्तृत विवरण
भारत विश्व के सबसे जैव विविधता संपन्न क्षेत्रों में से एक है, जहाँ वन्यजीवों की एक विशाल विविधता पाई जाती है। यह दुनिया के 17 मेगा-जैव विविधता वाले देशों में से एक है और इसमें विश्व के 36 जैव विविधता हॉटस्पॉट्स में से तीन शामिल हैं - पश्चिमी घाट, पूर्वी हिमालय और इंडो-बर्मा हॉटस्पॉट।
कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 24.6% भाग वनों से आच्छादित है। यहाँ विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र विद्यमान हैं, जिनमें उच्च ऊँचाई वाले हिमालय, पश्चिमी घाट के साथ उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन, उत्तर-पश्चिम में रेगिस्तान, प्रायद्वीपीय क्षेत्र के साथ तटीय मैदान और मैंग्रोव शामिल हैं। भारत इंडोमलायन क्षेत्र में स्थित है और यहाँ स्तनधारियों का लगभग 7.6%, उभयचरों का 14.7%, पक्षियों का 6%, सरीसृपों का 6.2% और पुष्पीय पौधों की प्रजातियों का 6.2% पाया जाता है।
मानवीय अतिक्रमण, वनों की कटाई और शिकार कुछ जीवों और वनस्पतियों के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं। भारत सरकार ने 1935 में राष्ट्रीय उद्यानों और संरक्षित क्षेत्रों की एक प्रणाली स्थापित की, जिसे बाद में 2023 तक लगभग 1022 संरक्षित क्षेत्रों तक विस्तारित किया गया है। भारत ने 1972 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम लागू किया है और महत्वपूर्ण प्रजातियों के संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलीफेंट और प्रोजेक्ट डॉल्फिन जैसी विशेष परियोजनाएँ भी चलाई हैं।
विवरण में और विस्तार:
मेगा-जैव विविधता: भारत की जैव विविधता इतनी समृद्ध है कि इसे विश्व के मेगा-जैव विविधता वाले देशों में गिना जाता है। इसका अर्थ है कि यहाँ पादपों और प्राणियों की असाधारण संख्या और विविधता पाई जाती है।
जैव विविधता हॉटस्पॉट्स: पश्चिमी घाट, पूर्वी हिमालय और इंडो-बर्मा हॉटस्पॉट, ये ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ पादप और प्राणी प्रजातियों की संख्या अत्यधिक है, और कई प्रजातियाँ स्थानिक (endemic) हैं, अर्थात वे केवल यहीं पाई जाती हैं। इन क्षेत्रों की सुरक्षा, जैव विविधता के संरक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पारिस्थितिक तंत्रों की विविधता: भारत में विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्र पाए जाते हैं, जो जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों में विविधता को दर्शाते हैं। उच्च हिमालयी क्षेत्र से लेकर रेगिस्तानी इलाकों और उष्णकटिबंधीय वनों तक, प्रत्येक पारिस्थितिक तंत्र में अपनी अनूठी वनस्पति और जीव-जंतुएँ हैं।
संरक्षण प्रयास: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972, प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलीफेंट, और प्रोजेक्ट डॉल्फिन जैसी परियोजनाएँ भारत सरकार के महत्वपूर्ण संरक्षण प्रयास हैं। हालाँकि, इन प्रयासों के बावजूद, मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न खतरे अब भी बने हुए हैं। इन खतरों से निपटने के लिए, सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता अभियान भी आवश्यक हैं।